Diwali 2020: जानिए क्या है 200 साल पुराना हिंगोट युद्ध, जो इस बार नहीं होगा
हिंगोट का युद्ध पिछले 200 वर्षों से इंदौर के गौतमपुरा और रूणजी के ग्रामीणों के बीच खेला जाता है. इतने वर्षों में ऐसा पहला मौका है जब ये खेल नहीं हो रहा.
इंदौर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) में हर साल दिवाली (Diwali 2020) के दूसरे दिन होने वाले हिंगोट युद्ध पर कोरोना (Coronavirus) का ‘ग्रहण’ लग गया है. कोरोना के चलते इस वर्ष जिला अधिकारी ने किसी भी तरह की भीड़ इकट्ठा होने की परमीशन नहीं दी है, यही वजह है कि इस बार कोरोना की वजह से प्रसिद्ध हिंगोट युद्ध नहीं खेला जाएगा.
200 वर्षों से चली आ रही परंपरा
आपको बता दें हिंगोट का युद्ध पिछले 200 वर्षों से इंदौर के गौतमपुरा और रूणजी के ग्रामीणों के बीच खेला जाता है. इसमें दोनों गांवों के लोग एक-दूसरे पर बारूद से भरे हुए हिंगोट यानी एक तरह का खतरनाक पटाखा फेंकते हैं. युद्ध में हर वर्ष कई लोग घायल होते हैं और कई लोगों की मौत भी हो जाती है. मगर ये खेल हर वर्ष खेला जाता है.
कहा जाता है 200 सालों से चली आ रही इस परंपरा को आज तक कोई रोक नहीं पाया. मगर इस वर्ष कोरोना की वजह से इस युद्ध के लिए जिला अधिकारी की ओर से परमीशन नहीं दी गई है.
क्या है मान्यता
मान्यता है कि मुगल काल में गौतमपुरा क्षेत्र में रियासत की सुरक्षा में तैनात सैनिक मुगल सेना के दुश्मन घुड़सवारों पर हिंगोट दागते थे. सैनिक इस हमले का अभ्यास करते थे. समय के साथ यही अभ्यास परंपरा में बदल गया.
क्या होता है हिंगोट?
दरअसल हिंगोरिया पेड़ का फल होता है हिंगोट, इसे हिंगोटा भी कहा जाता है. यह देखने में नींबू से कुछ बड़ा होता है जिसका बाहरी आवरण बेहद सख्त होता है. यह चंबल के किनारे जंगलों में अधिक पाया जाता है. गौतमपुरा हिंगोट युद्ध के लिए महीनों पहले चंबल नदी से लगे इलाकों के पेड़ों से हिंगोट तोड़कर जमा कर लिए जाते हैं.
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