हिसार: हरियाणा (Haryana) के हिसार (Hisar) में आंखों के इलाज के दौरान 7 वर्षीय पार्थ की मौत का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है. पीड़ित परिवार का कहना है कि मामले को 18 दिन बीत चुके हैं लेकिन उन्हें न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा.  इस मामले को लेकर सोमवार (8 फरवरी) को हिसार के सिविल अस्पताल में मेडिकल बोर्ड के सामने दोनों पक्ष पेश हुए थे. मामले को लेकर 17 फरवरी को एक बार फिर बोर्ड की बैठक होगी. 


परिवार ने डॉक्टरों पर लगाए ये आरोप


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हिसार के कैमरी रोड स्थित मान आई अस्पताल (Maan Eye Hospital) में आंखों के भेंगेपन का इलाज करवाने के​ लिए लाए गए 7 वर्षीय बच्चे पार्थ की 22 जनवरी को इलाज के दौरान मौत हो गई. 23 जनवरी को ही पार्थ का बर्थ-डे था. लेकिन जन्मदिन से एक दिन पहले पार्थ की मौत ने पूरे हिसार को हिलाकर रख दिया. पार्थ के परिजनों का आरोप है कि उनके बच्चे की मौत इलाज के दौरान ज्यादा एनीस्थिस्यिा देने की वजह से हुई. उन्होंने चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए हिसार में सड़क जाम कर दिया. पार्थ को न्याय दिलाने के लिए हिसार में कैंडल मार्च भी निकाले गए. 


मेडिकल बोर्ड कर रही सुनवाई


अब इस मामले की सुनवाई मेडिकल बोर्ड के सामने हो रही है. सोमवार को बोर्ड की दूसरे चरण की बैठक हुई. बैठक में मेडिकल बोर्ड के 7 सदस्य मौजूद थे. इनके समक्ष दोनों पक्ष उपस्थित हुए और अपने-अपने तर्क रखे. बैठक में 51 सदस्यीय संघर्ष समिति के सदस्य अमित ग्रोवर सहित कई अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे. हालांकि पार्थ के पिता मोहित वधवा और दादी कमलेश ने बोर्ड के सदस्य डॉ जेपी नलवा को ही निशाने पर ले लिया है. पार्थ के पिता और दादी ने कहा कि आईएमए के प्रेजिडेंट डॉ जेपी नलवा मामले में आरोपी पक्ष ले रहे हैं. पार्थ के पिता ने तो यह तक कह दिया कि उन्हें पूरे बोर्ड पर ही विश्वास नहीं है. उन्हें न्याय चाहिए. उन्होंने अपना बेटा खोया है. इधर, डॉ जेपी नलवा ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि शुरू से लेकर अब तक पूरी कार्रवाई निष्पक्ष हो रही है. पार्थ के परिजन चाहें तो कहीं भी रिपोर्ट की जांच करवा सकते हैं. 


पुलिस भी कर रही मामले की जांच


बता दें कि इस मामले में पुलिस अस्पताल के संचालक गुरप्रताप सिंह मान और अन्य के खिलाफ केस दर्ज कर जांच कर रही है. पुलिस ने आईपीसी की धारा 304 और 34 के तहत केस दर्ज किया है. हिसार के एसपी बलवान सिंह राणा का कहना है कि बीते दिनों अस्पताल की डीवीआर तक की जांच की गई, उसमें डॉक्टरों ने जो-जो गतिविधियां की हैं उसके बारे में भी एसपी राणा ने तमाम पहलु सामने रखे. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक चिकित्सक की गिरफ्तारी संभव नहीं है. ऐसे में अब मधुबन से आने वाली रिपोर्ट का इंतजार है. रिपोर्ट में अगर चिकित्सकों की लापरवाही सामने आती है तो उसके हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी. 



पार्थ को न्याय दिलाने के लिए बनी समिति


पार्थ को न्याय दिलवाने के लिए 51 सदस्यीय संघर्ष समिति बनाई गई है. समिति के सदस्य ललित भाटिया का कहना है कि उनकी नजरें 17 फरवरी को होने वाली बोर्ड की बैठक और तमाम कार्रवाई पर है. अगर ​पार्थ को न्याय नहीं मिला तो संघर्ष समिति रणनीति बनाते हुए दोबारा से आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने से पीछे नहीं हटेगी.