चीनी सैनिक आए, विवाद हुआ और वे वापस चले गए: राजनाथ सिंह
भारत के कड़े तेवरों के चलते बीजिंग के सुर बदले-बदले नजर आ रहे हैं.
नई दिल्ली: भारत की क्षेत्रीय अखंडता का चीन द्वारा बार-बार उल्लंघन किया जाता रहा है. मौजूदा विवाद लगभग पिछले एक महीने से चल रहा है, लेकिन अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया है. इतना ज़रूर है कि भारत के कड़े तेवरों के चलते बीजिंग के सुर बदले-बदले नजर आ रहे हैं. इस विषय पर पहली बार रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने बात की. उन्होंने WION को बताया कि आखिर सीमा पर हुआ क्या था.
रक्षामंत्री ने कहा, ‘हमारी जानकारी के अनुसार, वे (चीनी सेना) वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से दूर अभ्यास करते थे, लेकिन वे अब LAC के करीब आ गए हैं. मुझे बताया गया है कि वे LAC से चीन की ओर 10-12 किलोमीटर दूर हैं. कुछ क्षेत्रों में उनकी पेट्रोलिंग पार्टी आ गई थी, जिसमें गलवान घाटी (Galwan Valley) भी शामिल है. वे आए, विवाद हुआ और वे वापस चले गए’. राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि चीनी सैनिकों ने कुछ ऐसे इलाकों में टेंट भी लगा लिए थे, जहां पहले उनकी मौजूदगी नहीं थी.
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फिलहाल दोनों देश सीमा विवाद सुलझाने के लिए द्विपक्षीय समाधान तलाश रहे हैं. हालांकि, यह बात अलग है कि अब तक इस दिशा में पर्याप्त सफलता नहीं मिल सकी है. इस बीच, राजनाथ सिंह ने फ्रांस के रक्षा मंत्री से बात की. यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने चीन का मुद्दा उठाया या नहीं. लेकिन अटकलें जरूर लगाईं जा रही हैं कि दोनों देशों के नेताओं में चीन पर बात हुई. क्योंकि वैश्विक समुदाय ने चीन के सैन्य साहस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया हुआ है.
वहीं, अमेरिकी सांसद इलियट एंजेल (Eliot Engel) ने चीन की कारगुजारियों के लिए उसे फटकार लगाई है. उन्होंने चीन को ‘धमकाने वाला देश’ करार दिया है. सांसद इलियट ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि सीमा विवाद को हल करने के लिए बीजिंग को मानदंडों का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘चीन को चाहिए कि वह सीमा विवाद हल करने के लिए मानदंडों का सम्मान करे और कूटनीति इस्तेमाल करे’. एंजेल अमेरिका में विदेशी मामलों पर सांसदों के शक्तिशाली पैनल का नेतृत्व करते हैं.
कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा था, लेकिन भारत ने इससे इंकार कर दिया. एक बार फिर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गतिरोध सुलझाने में तीसरे पक्ष की भूमिका को खारिज किया है. उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि भारत और चीन के बीच यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है और अब जब बातचीत चल रही है, तो इस मुद्दे पर किसी अन्य देश के साथ चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है. चीन का भी मानना है कि विवाद को आपसी बातचीत से हल किया जाना चाहिए. इसीलिए मैंने किसी अन्य देश से इस विषय पर चर्चा नहीं की’.
WION से बातचीत में राजनाथ सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत भले ही बातचीत से मुद्दा हल करने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन देश के गौरव से समझौता नहीं करेगा. रक्षामंत्री ने एक तरह से बीजिंग को यह संकेत दिया है कि भारत अपने क्षेत्रों पर दावा नहीं छोड़ेगा और अब यह चीन को तय करना है कि वह क्या चाहता है.