High Court : ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाया जाएगा. इसको लेकर जल्द ही जांच एजेंसी सप्लीमेंट्री चार्जशीट अदालत में दाखिल करेगी. ED की ओर से वकील जोएब हुसैन ने यह दलील मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दी.
मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति मामले में सीबीआई और ED दोनों जांच एजेंसियों  की ओर से दर्ज केस में जमानत की मांग की है.कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


सिसोदिया की ओर से दलील


मनीष सिसोदिया की ओर से वकील दयान कृष्णन और मोहित माथुर ने दलीलें रखी. वकीलों ने निचली अदालत में ट्रायल में हो रही देरी का हवाला दिया. उन्होंने  कहा कि इस मामले में ईडी ने खुद सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि ट्रायल 6 से 8 महीने में पूरा हो जाएगा, लेकिन अभी भी दोनों जांच एजेंसीयों की ओर से दर्ज केस में जांच जारी है. अभी तक केस में आरोपियों  की गिरफ्तारी हो रही है और ट्रायल जल्द शुरू होने की कोई संभावना नहीं है.


'निचली अदालत का आदेश गलत'


सिसोदिया की ओर पेश वकील ने ट्रायल में देरी के लिए आरोपियों को ही ज़िम्मेदार ठहराने के निचली अदालत के निष्कर्ष पर सवाल उठाया.उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट का  यह मानना गलत है कि मुकदमे में देरी उनकी वजह से हो रही है. सिसोदिया की ओर से निचली अदालत में जो भी याचिकाएं  दायर की गई है,उन्हें निर्रथक नहीं कहा जा सकता है. अगर ऐसा था तो फिर कोर्ट को उनको सुनवाई के लिए स्वीकार ही नहीं करना था. ट्रायल में अगर देरी हुई है तो इसके लिए जांच एजेंसियों का रवैया जिम्मेदार है.



ED की ओर से दलील


ED की ओर से वकील जोएब हुसैन ने दलील दी  कि  ट्रायल में देरी ज़मानत याचिका पर विचार करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहीं ऐसा नहीं कहा कि ट्रायल कोर्ट सिर्फ इसी आधार पर सिसोदिया की जमानत अर्जी पर विचार करेगा या फिर केस  की मेरिट पर विचार नहीं करेगा. ट्रायल कोर्ट ने सभी पहलुओं पर विचार करके ज़मानत अर्जी खारिज की है .जोएब हुसैन ने कहा कि  इस केस में  सिर्फ 17 आरोपियों की गिरफ्तारी के बावजूद 250 अर्जियां उनकी ओर दाखिल की गई है. जज ने आदेश में ट्रायल में देरी के लिए आरोपियों को जो जिम्मेदार ठहराया है, वो आरोपियों के  इसी रवैये के चलते कहा है.



सिसोदिया की जमानत का विरोध किया


ED की ओर से वकील जोएब हुसैन ने कहा कि मनीष सिसोदिया दिल्ली के डिप्टी सीएम और पार्टी के बड़े नेताओं में से एक थे. इस लिहाज से  से उनका इस घोटाले में रोल बहुत अहम हो जाता है. जुलाई 2022 को जब एलजी ने इस मामले को सीबीआई जांच के लिए भेजा तो उसी दिन मनीष सिसोदिया ने अपना फोन बदल लिया. वो फोन आज तक बरामद नहीं हो पाया है. हमारे पास इस बात को साबित करने के लिए भी बयान है कि मनीष सिसोदिया ने पुराने कैबिनेट नोट को भी नष्ट कर दिया ताकि कोई सबूत बचा ना रह सके अगर उनको जमानत मिलती है तो वह सबूत के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं. उनकी पार्टी सत्ता में है. इसलिए वो अधिकारियों पर भी दबाव डालकर मामले की जांच को प्रभावित कर सकते हैं.