Rajya Sabha News: पंजाब चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी की पावर संसद के उच्च सदन में बढ़ने वाली है. 'आप' जल्द ही राज्यसभा में DMK के साथ संयुक्त रूप से चौथी सबसे बड़ी पार्टी होगी. दरअसल 10 जून को उच्च सदन की 57 सीटों पर हुए चुनाव के बाद राज्यसभा के सांसदों की दलगत संख्या में थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव हुआ है. बीजेपी की ताकत जरूर कुछ कम हुई है हालांकि इससे पक्ष या विपक्ष पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा.


अभी AAP के उच्च सदन में 8 सांसद


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आम आदमी पार्टी से राघव चड्ढा, अशोक मित्तल, संजीव अरोड़ा, हरभजन सिंह और संदीप पाठक हाल ही में राज्यसभा पहुंचे हैं. इसके साथ उच्च सदन में AAP की सीटें बढ़कर 8 हो गईं. अब 2 सीटें पंजाब से जीतने के बाद जुलाई में पार्टी के सांसदों की संख्या दहाई में पहुंच कर 10 हो जाएगी. पंजाब की 2 सीटों पर जीत से पहले ही AAP के एनडी गुप्ता, सुशील गुप्ता, संजय सिंह, हरभजन सिंह, राघव चड्ढा, डॉ. संदीप पाठक, अशोक कुमार मित्तल, संजीव अरोड़ा को मिलाकर कुल 8 राज्यसभा सांसद हैं.


बीजेपी कब पहुंचेगी तीन अंकों में?


साफ है कि राज्यसभा में आम आदमी पार्टी का कद बढ़ गया है. मार्च में संसद के उच्च सदन में AAP की 3 सीटें थीं जो जुलाई में बढ़कर 10 हो जाएंगी.आम आदमी पार्टी की राज्यसभा में बल्ले-बल्ले हो गई है. पंजाब से राज्यसभा के दो सांसद रिटायर हो रहे हैं. इससे राज्यसभा में अरविंद केजरीवाल की पार्टी की सियासी ताकत और बढ़ जाएगी.


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दरअसल हाल ही में हुए चुनावों में बीजेपी ने यूपी में 3 सीटें जीती हैं और उसकी एक सीट उत्तराखंड से बढ़ी है.लेकिन उसने आंध्र प्रदेश में तीन और झारखंड में एक सीट गंवा दी है. ऐसे में अब BJP को उम्मीद है कि 7 नए सदस्यों के नामांकन से उसका आंकड़ा एक बार फिर तीन अंकों में पहुंच जाएगा. यानी ऐसा होने पर उसके सांसदों की संख्या 100 हो जाएगी क्योंकि ज्यादातर नए नामित सदस्य बीजेपी जॉइन कर सकते हैं. वर्तमान में पांच में से चार नामित सदस्य BJP के सदस्य हैं.


निर्वाचित सदस्यों के शपथ लेने के बाद बीजेपी के सदस्यों की संख्या 95 से घटकर 91 रह जाएगी. यानी फिर से 100 के आंकड़े तक पहुंचने के लिए बीजेपी को अभी और इंतजार करना पड़ेगा. अभी भी राज्यसभा में सात मनोनीत सदस्यों समेत कुल 13 खाली सीटें हैं. मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति और खाली सीटों को भरे के जाने के बाद बीजेपी के सदस्यों की संख्या 100 के करीब पहुंच सकती है क्योंकि कुछ अपवादों को छोड़ दें तो आमतौर पर मनोनीत सदस्य अपने मनोनयन के छह महीने के अंदर खुद ब खुद किसी न किसी दल से (आमतौर पर सत्ताधारी दल से) जुड़ जाते हैं.


SAD होगी शून्य 


टॉप यानी राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी के बाद सबसे कम ताकत वाले राजनीतिक दल की बात करें तो बदले समीकरणों के लिहाज से शिरोमणि अकाली दल यानी SAD घटकर जीरो और बसपा मात्र 1 पर सिमट कर रह जाएगी. राज्यसभा की 57 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनावों की घोषणा के बाद उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पंजाब, तेलंगाना, झारखंड और उत्तराखंड में सभी 41 उम्मीदवारों को पिछले शुक्रवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था. इनमें बीजेपी के 14 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए थे. जहां उसके 5 सदस्य रिटायर हुए थे जबकि उसके 8 मेंबर निर्वाचित हुए हैं.


इससे कुछ पहले असम, त्रिपुरा और नगालैंड में एक-एक सीट पर जीत हासिल करने के बाद बीजेपी अपने इतिहास में पहली बार संसद के अपर हाउस में 100 के आंकड़े पर पहुंची थी. तब पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे पार्टी की बड़ी उपलब्धि बताते हुए पुराने नेताओं को याद किया था.