नई दिल्लीः एडमिरल करमबीर सिंह ने शुक्रवार को नौसेेना प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभाल लिया. इस मौके पर उन्होंने कहा, 'पूर्व के नौसेना प्रमुखों ने यह सुनिश्चित किया कि नौसेना का आधार मजबूत रहे और आज यह नई ऊंचाइयों को छू रही है. मेरी कोशिश होगी कि उनके प्रयासों को जारी रखते हुए राष्ट्र को एक नौसेना मिले जो मजबूत और विश्वसनीय होने के साथ साथ समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा से जुड़ी हर चुनौती की पूरा करने के तैयार हो.'


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एडमिरल करमबीर सिंह ने एडमिरल सुनील लांबा से पदभार लिया. एडमिरल सुनील लांबा आज रिटायर हो गए.



बता दें कि एक सैन्य अधिकरण ने बुधवार (29 मई) को वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को आज (31 मई) नए नौसेना प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभालने की इजाजत दे दी थी. इससे पहले उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई को अधिकरण ने करीब सात हफ्तों के लिये टाल दिया था. 



अंडमान और निकोबार कमान के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने यहां सशस्त्र बल अधिकरण (एएफटी) में याचिका दायर कर अपनी वरिष्ठता की अनदेखी कर सिंह को नया नौसेना प्रमुख नियुक्त किये जाने को चुनौती दी थी.वर्मा के वकील अंकुर छिब्बर ने कहा, “एएफटी ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 17 जुलाई को तय की है क्योंकि सरकार ने अधिकरण के समक्ष वाइस एडमिरल सिंह की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज रखने के लिये और समय की मांग की थी.” 


उन्होंने कहा कि एएफटी ने सिंह को 31 मई को एडमिरल सुनील लांबा से नौसेना प्रमुख का पदभार ग्रहण करने की मंजूरी दे दी और इस पद पर उनका बना रहना मामले में अंतिम नतीजे पर निर्भर करेगा. वर्मा वरिष्ठतम नौसैनिक कमांडर हैं. अधिकरण ने 22 मई को सरकार को निर्देश दिया था कि 29 मई को नए नौसेना प्रमुख की नियुक्ति से संबंधित रिकॉर्ड और दस्तावेज उपलब्ध कराए. हालांकि, सरकार दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा सकी और अतिरिक्त समय की मांग की. 


इस महीने के शुरू में रक्षा मंत्रालय ने वर्मा के आवेदन को खारिज करते हुए एक आदेश जारी किया. रक्षा मंत्रालय के आदेश के बाद वर्मा ने एएफटी में एक याचिका दायर कर सिंह की नियुक्ति और मंत्रालय द्वारा चयन के खिलाफ उनकी याचिका खारिज किये जाने को चुनौती दी थी.


(इनपुट भाषा से भी)