ममता के बाद अब हेमंत सोरेन ने ED-CBI की मुश्किल बढ़ाई, अपने अफसरों को लिखी ये चिट्ठी
पश्चिम बंगाल में जिस तरह से ED अधिकारियों पर हमला किया गया.
West Bengal : पश्चिम बंगाल में जिस तरह से ED अधिकारियों पर हमला किया गया. झारखंड में जिस तरह से लगातार ED की कारवाई चल रही है और एजेंसी राज्य के कई अफसरों को पूछताछ के लिये बुला चुकी है, कई आरोपी अधिकारियों को गिरफ्तार भी कर चुकी है, इस पर झारखंड सरकार की लिखी चिट्ठी ED और CBI के लिये परेशानी पैदा कर सकती है.
झारखंड के मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव ने राज्य में ED/CBI/IT की लगातार चल रही जांच को लेकर झारखंड राज्य के अधिकारियों को चिट्ठी लिख आदेश दिया कि इन जांच एजेसियों के नोटिस और जांच से जुड़े दस्तावेज पर सीधे जवाब ना दे बल्कि अपने विभाग के जरिये सरकार की जानकारी में लाये. ये चिट्ठी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुख्य सचिव वंदना दादेल ने लिखी है.
वंदना दादेल ने चिट्ठी में लिखा है कि पिछले कुछ समय से राज्य के बाहर(Central Agencies) की जांच एजेंसिया बिना सरकार के सक्षम प्राधिकार(Competent Authority) को लिखे सीधे पदाधिकारियों को नोटिस भेज पूछताछ के लिये बुलाती है और साथ ही सरकारी दस्तावेजों की भी मांग की जाती है. ऐसे मामलों में अभी तक अपने वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाये बिना ही अधिकारी पूछताछ में शामिल होते थे और सरकारी दस्तावेजों को इन केन्द्रीय जांच एजेंसियों को सौंप दिया जाता है जो गलत है. जो सूचनाएं दी जाती है, संभावना है कि वो आधी अधूरी हो या गलत हो जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है और इससे राज्य सरकार का काम काज और राज्य से बाहर की जांच एजेंसियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है.
इन जांच एजेंसियों को सहयोग करने के लिये और सभी जरूरी दस्तावेजों को देने के लिये प्रकिया बनायी जा रही है. राज्य सरकार के पास अपनी भ्रष्टाचार निरोधर ब्यूरो(ACB) है जो विजिलेंस विभाग के अधीन है.
विजिलेंस विभाग को राज्य सरकार से बाहर की एजेंसियों की तरफ से मांगी गयी जानकारी के बारे में जानकारी देने के लिये मंत्रीमंडल सचिवालय और विजिलेंस विभाग को नोडल विभाग बनाया जाता है. यानी अगर Central Agencies कोई जानकारी मांगती है तो पहले अपने विभागाध्यक्ष को जानकारी दी जाये और वो इसके बारे में नोडल एजेंसी यानी मत्रीमंडल सचिवालय और विजिलेंस विभाग को देगा. दोनों विभाग मांगी गयी जानकारी के बारे में कानूनी सलाह लेगें और उसी के हिसाब से Central Agencies को जानकारी दी जायेगी.
हालाकि, एजेंसी का मानना है, कि ये चिट्ठी एक तरह से आदेश है कि जांच एजेंसियों को दी जा रही जानकारी ना दी जाये क्योकि जब एजेंसी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिये बुला रही है और वो सात बार नोटिस दिये जाने पर भी नहीं आये तो इसका मतलब साफ है कि ये नीचे के अधिकारियों को चिट्ठी लिख कर निर्देश दिया गया है कि जांच में सहयोग ना किया जाये.
ED अभी तक झारखंड में चल रहे अलग-अलग मामलों में दो IAS अधिकारियों को गिरफ्तार कर चुकी है और इसके अलावा इनकी मदद करने के आरोप में भी दूसरे कई आरोपी गिरफ्तार किये जा चुके है. अब देखना है कि इस चिट्ठी के बाद केन्द्रीय जांच एजेंसियों के लिये राज्य में जांच करना और कारवाई करना कितना आसान रह जाता है.