सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद आर्मी ने मानी शर्त, योग्य महिला अधिकारियों को दिया जाएगा स्थायी कमीशन
योग्य महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. ऐसे में कोर्ट ने सेना को अवमानना करने का आरोप लगाते हुए कड़े सवाल किए. इसके बाद आर्मी कोर्ट की बात मानने को राजी हो गई है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन नहीं करने को लेकर भारतीय थल सेना (Indian Army) और उसके प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे (Manoj Mukund Naravane) के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की शीर्ष न्यायालय की चेतावनी के बाद रक्षा बल शुक्रवार को अपनी सभी योग्य महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने को राजी हो गया.
कोर्ट ने कहा, ‘हम सेना को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराते हैं. हम आप को आगाह करते हैं. चूंकि आपने हमारे आदेशों का अनुपालन नहीं किया, इसलिए आपको अंजाम का सामना करना पड़ेगा. आर्मी अपने खुद के प्राधिकार में सर्वोच्च हो सकती है लेकिन यह संविधान अदालत भी अपने अधिकार क्षेत्र में सर्वोच्च है.’
स्थायी कमीशन को लेकर कोर्ट में सुनवाई
थल सेना ने शुरूआत में कहा था कि अवमानना याचिका दायर करने वाली बल में 36 महिला शार्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों में 22 को उसने स्थायी कमीशन प्रदान किया है, जबकि 3 को मेडिकल आधार सहित 14 को उपयुक्त (फिट) नहीं माना गया. शीर्ष न्यायालय की चेतावनी के बाद, सेना ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ को सूचित किया कि वह सभी योग्य महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करेगी.
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कोर्ट ने सेना से पूछे ये सवाल
पीठ ने सेना की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल संजय जैन और वरिष्ठ अधिवक्ता आर बाल सुब्रहमण्यम से पूछा कि क्या 111 अधिकारियों को (मेडिकल आधार पर छोड़ी गई तीन के अलावा) जिन्हें छोड़ दिया गया था, ने 60% अंक हासिल करने की अर्हता (Qualification) पूरी की थी और क्या उन्हें सतर्कता व अनुशासनिक मंजूरी मिली थी, या इस साल 25 मार्च को कोर्ट द्वारा निधार्रित योग्यता पर खरा नहीं उतरी थी.
सेना ने रखा अपना पक्ष
जैन ने बताया कि सभी 11 अधिकारियों ने 60% से अधिक अंक हासिल किए थे और उन्होंने सभी अनुशासनिक व सतर्कता मंजूरी प्राप्त की थी. लेकिन उनके खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां थी और उनकी सांविधिक एवं गैर सांविधिक शिकायतें लंबित हैं. इस मामले पर पीठ ने कहा, ‘यदि उन्होंने हमारे फैसले में जिक्र की गई सारी अर्हता पूरी की हैं तो आपने स्थायी कमीशन क्यों नहीं प्रदान किया? ’
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इसके बाद पीठ ने आदेश पढ़ना शुरू किया, लेकिन जैन ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि उन्होंने अभी-अभी यह निर्देश पाया है कि सेना उन 11 अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने को इच्छुक है. हालांकि, स्थायी कमीशन से मना की गई महिला अधिकारियों के वकीलों के बयान पर आपत्ति जताई और कहा कि यहां तक कि जिन अधिकारियों ने सेना और नरवणे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर नहीं की थी उनके नाम पर भी विचार किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने दिया उचित समय
जैन ने पीठ से अनुरोध किया कि उन्हें और बालासुब्रमण्यम को संबद्ध प्राधिकारों से निर्देश पाने की जरूरत है, एसे में कोर्ट दोपहर 2 बजे तक कुछ समय दे सकता है और तब तक वह आदेश नहीं सुनाए. पीठ इस पर सहमत हो गई और दोनों को निर्देश प्राप्त करने की अनुमति दे दी. इसके बाद लंच के बाद शुरू हुए सत्र में जैन ने कहा कि उन्हें यह निर्देश प्राप्त हुए हैं कि सेना सभी महिला शार्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को स्थायीय कमीशन देने को इच्छुक है, चाहे उन्होंने याचिका दायर की हो या नहीं लेकिन 25 मार्च के न्यायालय के आदेश में निर्धारित अर्हता पूरी करती हों.
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कोर्ट के फैसले का रखा जाए मान
इस पर पीठ ने सेना को न्यायालय का रुख करने वाली 11 अधिकारियों को 10 दिनों के अंदर और न्यायालय का रुख नहीं करने वाली महिला अधिकारियों को 3 हफ्तों के अंदर स्थायी कमीशन प्रदान करने का आदेश दिया. न्यायालय ने कहा कि व्यक्तिगत मामलों से कानून के अनुरूप निपटा जाएगा और भारतीय थल सेना तथा उसके प्रमुख के खिलाफ अवमानना कार्रवाई नहीं शुरू की जाएगी. शीर्ष न्यायालय के इस निर्देश के साथ कुल 71 महिला अधिकारियों, जिन्हें शुरूआत में स्थायी कमीशन देने से इनकार कर दिया गया था और 68 को स्थायी कमीशन प्रदान किया जाएगा.
पिछले साल 17 फरवरी के अपने ऐतिहासिक फैसले में न्यायालय ने निर्देश दिया था कि सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान किया जाए.
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