Petition Against Agneepath Scheme: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज (सोमवार को) सशस्त्र बलों में भर्ती से जुड़ी केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है. अग्निपथ स्कीम को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते होगी. जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जे. के. माहेश्वरी की अवकाशकालीन बेंच ने कहा कि गर्मी की छुट्टी के बाद सुप्रीम कोर्ट के फिर से खुलने पर याचिकाओं को अगले सप्ताह उपयुक्त बेंच के समक्ष लिस्ट किया जाएगा. इस योजना के खिलाफ याचिका दायर करने वाले वकील ने कहा कि भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) में जाने को इच्छुक उम्मीदवारों ने प्रशिक्षण ले लिया है और नियुक्ति पत्र की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन अब उनका कार्यकाल 20 साल से घटाकर चार साल कर दिया जाएगा.


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याचिका में कार्यकाल छोटा करने का विरोध


वकील एम. एल शर्मा ने कहा, ‘यह एक महत्वपूर्ण मामला है, कृपया इसे लिस्ट करें. कई उम्मीदवारों के भविष्य दांव पर हैं.’ योजना को चुनौती देनी वाली याचिका दायर करने वाले वकील एम. एल शर्मा ने कहा कि वह योजना से संबंधित सरकार की अधिसूचना को रद्द करने का अनुरोध करते हैं, क्योंकि 70,000 से अधिक उम्मीदवार जो प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, वे वैश्विक महामारी से पहले से अपने नियुक्ति पत्र की प्रतीक्षा कर रहे हैं और अब योजना के तहत उनका कार्यकाल छोटा कर दिया गया है.


सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले को लिस्ट किया


बेंच ने कहा कि जब आपने (एम. एल शर्मा) दो साल से अधिक समय तक इंतजार किया है तो आप अवकाशकालीन पीठ के समक्ष मामला क्यों उठा रहे हैं? इसके बाद बेंच ने एम. एल शर्मा की याचिका को अन्य मामलों के साथ उपयुक्त पीठ के समक्ष लिस्ट कर दिया. वकील एम. एल शर्मा ने जनहित याचिका में आरोप लगाया कि सरकार ने सशस्त्र बलों की बेहद पुरानी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है.


क्या है अग्निपथ स्कीम?


सरकार ने पिछले महीने, ‘अग्निपथ’ योजना की घोषणा की थी. योजना के तहत साढ़े 17 साल से 21 साल तक की उम्र के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा. इनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा. सरकार ने बाद में 2022 के लिए इस योजना के तहत भर्ती के वास्ते ऊपरी आयु सीमा को 21 साल से बढ़ाकर 23 साल कर दिया था.


याचिका में योजना के खिलाफ पूरे देश में चल रहे विरोध-प्रदर्शनों का भी हवाला दिया गया. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर कर योजना के खिलाफ हिंसक विरोध-प्रदर्शन के दौरान रेलवे सहित सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की जांच के लिए एक एसआईटी गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.


याचिका में केंद्र और उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, हरियाणा और राजस्थान सरकारों को हिंसक विरोध-प्रदर्शनों पर एक स्थिति रिपोर्ट देने का निर्देश देने की भी मांग की गई है. इसमें योजना और उसके राष्ट्रीय सुरक्षा व सेना पर होने वाले प्रभावों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर जस्टिस की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट कमेटी गठित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया.


(इनपुट- भाषा)


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