AIADMK Vs BJP:  सियासत में ना कोई दोस्त और ना ही स्थाई दुश्मन होता है. अगर दोस्ती और दुश्मनी की बात होती तो बिहार में लालू यादव और नीतीश कुमार कभी अलग और एक साथ नहीं होते.यूपी में बीएसपी और समाजवादी पार्टी का रिश्ता दोस्ती- तलाक तक नहीं पहुंचता. यहां हम बात करेंगे तमिलनाडु की जहां एआईएडीएमके और बीजेपी के रिश्ते टूट गए हैं. आखिर रिश्ता क्यों टूटा. क्या बीजेपी की राज्य ईकाई को यह समझ में आने लगा है कि चेन्नई की गद्दी पर दावेदारी के लिए संघर्ष एकला चलो की नीति में छिपी है या वजह कुछ और है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

के अन्नामलाई हैं बीजेपी अध्यक्ष


तमिलनाडु में बीजेपी की कमान के अन्नामलाई के हाथों में है. ऐसा कहा जाता है कि जब उन्होंने पार्टी की कमान संभाली तब से लेकर आज तक यानी एआईएडीएमके से रिश्ता खत्म होने तक उनके बयान से AIADMK के नेता नाखुश रहे है, उन्हें ऐसा लगता था कि अन्नामलाई जानबूझकर इस तरह के बयान देते हैं जो पार्टी के नेताओं पर निशाना साधने जैसा लगता है और उसका असर जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ता है. हालांकि राजनीति के कुछ जानकार यह भी कहते हैं कि यह अलगाव लंबे समय तक का नहीं है क्योंकि अलगाव होने के बाद पार्टी के कार्यालय में जो जश्न मनाया गया उसमें प्रमुख तौर पर हर एक का नजरिया बीजेपी स्टेट प्रेसिडेंट अन्नामलाई के खिलाफ था.


यह है घटनाक्रम


  • जून 2022 में एआईए़डीएमके के वरिष्ठ नेता सी पोन्नियन ने कहा कि हमारी कीमत पर बीजेपी विस्तार कर रही है.

  • फरवरी 2023 में इरोड बायपोल के दौरान एआईए़डीएमके ने एनडीए गठबंधन की जगह सिर्फ अपनी पार्टी का झंडा लगाया था.

  • मार्च 2023 में बीजेपी के साथ तल्खी तब बढ़ गई जब बीजेपी के आईटी विंग में काम करने वाले सीटीआर निर्मल ने एआईए़डीएमके  ज्वाइन कर ली.

  • बीजेपी के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा था कि उनकी पत्नी जयललिता से 100 गुना अधिक शक्तिशाली है इसके बाद विवाद और बढ़ गया।

  • अप्रैल 2023 में अन्नामलाई ने कहा था कि वो हर उन दलों के भ्रष्टाचार को उजागर करेंगे जिन्होंने अब तक तमिलनाडु में शासन किया है.


राजनीतिक गलियारे में इस अलगाव को एआईए़डीएमके की दबाव वाली राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि 2024 आम चुनाव से पहले एआईए़डीएमके ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोशिश की है, बीजेपी राज्य ईकाई से नाराजगी या बीजेपी स्टेट प्रेसिडेंट के प्रति नाराजगी सिर्फ बहाना भर है. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में ई पलानीसामी के सुर में नरमी आ सकती है.