AIMPLB on Madrassa in MP and UP: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूपी और एमपी के मदरसों पर सरकारी दबाव बनाए जाने का आरोप लगाया है. बोर्ड के मुताबिक मध्य प्रदेश के मदरसों में सरस्वती वंदना कराई जा रही है जो उनके निजी अधिकारों पर हमला है. वहीं योगी सरकार पर आरोप लगाया कि यूपी में मदरसों की पहचान खत्म करने की कोशिश हो रही है. पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक मदरसे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के नियंत्रण से बाहर हैं. ऐसे में आयोग ने मदरसों को लेकर राज्य सरकारों को जो भी आदेश दिए हैं, वे भी अपने आप अवैध हो जाते हैं.


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'किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं अभियान'


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने साफ कर दिया है कि उसे मदरसों की पहचान खत्म करने के लिए चलाया जा रहा सियासी अभियान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं है. AIMPLB का आरोप है कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मदरसों को नुकसान पहुंचाने और उन्हें खत्म करने की साज़िश हो रही है जिसका वो विरोध करते हैं. बोर्ड ने कहा कि किसी भी तरह वो मदरसों को बंद नहीं होने देंगे. 


मदरसों में सरस्वती वंदना पढ़ाने के लिए दबाव


AIMPLB ने दावा किया की यूपी में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से राज्य सरकारों को दिया गया निर्देश सरासर गलत, गैरकानूनी और आयोग की सीमाओं और कार्यक्षेत्र से बाहर है. इसके साथ ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मध्य प्रदेश के मदरसों में बच्चों को रोज़ाना सरस्वती वंदना पढ़ने के लिए मजबूर करने को भी गलत बताया. 


AIMPLB ने अपने स्टेटमेंट में कहा कि यूपी में ज़िला अधिकारियों की तरफ से मदरसों पर दबाव डाला जा रहा है. गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर सरकारी स्कूल में शिफ्ट कराया जा रहा है. मुस्लिम बच्चों को भी शिक्षा के अधिकार के तहत बेसिक तालीम हासिल करने को कहा गया है. ऐसा ना करने पर मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी जा रही है.


आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर हैं मदरसे


बोर्ड मेंबर्स ने दावा किया कि मदरसे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के नियंत्रण से बाहर हैं. ऐसे में आयोग ने मदरसों को लेकर राज्य सरकारों को जो भी आदेश दिए वो गैरकानूनी हैं. उन्होने यह भी दावा किया कि मध्य प्रदेश के मदरसों में हाथ जोड़कर सरस्वती वंदना कराई जा रही है, जो संविधान के अनुच्छेद 30(1) का उल्लंघन है.


बोर्ड के उलेमाओं ने कहा कि सरकारी निर्देशों के जरिए किए जा रहे ये बदलाव उनके निजी अधिकारों पर हमला है. इससे लाखों बच्चों का शैक्षिक नुकसान होगा और उनपर मानसिक और मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ेगा. लिहाज़ा इसके खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा. 


फिर से विचार करे सरकार- फरंगी महली


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आरोपों के बाद दारुल उलूम फरंगी महल की तरफ से भी मदरसों को लेकर बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने राज्य सरकारों से अपने फैसले पर फिर से सोचने को कहा. 


इसके साथ ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 8,449 अस्वीकृत मदरसों की सूची भी जारी की है, जिसमें दारुल-उलूम देवबंद, जामिया अशरफ़िया और आज़मगढ़ जैसे बड़े और पुराने मदरसे शामिल हैं. बोर्ड ने इसे गैरकानूनी, अनैतिक और अल्पसंख्यक विरोधी नीति बताते हुए कानूनी लड़ाई लड़ने का भी दावा किया है.