Air India: एअर इंडिया पेशाब कांड.. यात्रियों के लिए गाइडलाइंस में होगा बदलाव! SC का केंद्र और DGCA को सख्त निर्देश
Air India Urination Case: सुप्रीम कोर्ट ने विमान यात्राओं के दौरान होने वाली अव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को कड़े दिशा-निर्देश बनाने का निर्देश दिया है.
Air India Urination Case: सुप्रीम कोर्ट ने विमान यात्राओं के दौरान होने वाली अव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को कड़े दिशा-निर्देश बनाने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश एअर इंडिया की उस घटना के संदर्भ में दिया, जिसमें 73 वर्षीय एक महिला पर एक सहयात्री ने नशे की हालत में पेशाब कर दिया था. यह घटना नवंबर 2022 की है, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा था. अदालत ने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए "कुछ रचनात्मक और ठोस कदम" उठाने की जरूरत है.
न्यायाधीश ने साझा किया अनुभव
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन ने अपने एक व्यक्तिगत अनुभव का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि कैसे एक उड़ान के दौरान, दो यात्री पूरी तरह नशे में थे. एक यात्री वॉशरूम में सो गया, जबकि दूसरा उल्टी के लिए बैग लेकर खड़ा था. यह स्थिति लगभग 30-35 मिनट तक बनी रही, और विमान का चालक दल, जिसमें सभी महिलाएं थीं, स्थिति को संभालने में असहाय महसूस कर रहा था. इस अनुभव ने अदालत को और कड़े दिशा-निर्देश बनाने की जरूरत पर जोर देने को मजबूर किया.
महिला ने क्यों दायर की याचिका?
पीड़ित महिला ने मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि घटना के बावजूद एअर इंडिया और डीजीसीए ने इस मामले में लापरवाही दिखाई. महिला ने 2014 से 2023 के बीच विमान यात्राओं में दुर्व्यवहार के सात मामलों का हवाला दिया. उन्होंने यह भी कहा कि इन घटनाओं में एयरलाइनों ने उचित कार्रवाई नहीं की.
मौजूदा गाइडलाइंस की समीक्षा होगी
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और डीजीसीए को मौजूदा गाइडलाइंस की समीक्षा कर उन्हें और सख्त और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने का निर्देश दिया. सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि वर्तमान में अनियंत्रित यात्रियों से निपटने के लिए दिशानिर्देश मौजूद हैं, लेकिन अदालत ने इन गाइडलाइंस को और प्रभावी बनाने की बात कही.
मीडिया रिपोर्टिंग पर भी सवाल
महिला ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि इस तरह की घटनाओं पर मीडिया में जो खबरें प्रकाशित होती हैं, उनके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाए जाने चाहिए. याचिका में कहा गया कि असत्यापित बयानों और अफवाहों से न केवल पीड़ित बल्कि आरोपी भी प्रभावित होता है.
मामले का कानूनी पहलू
दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले के आरोपी शंकर मिश्रा को 31 जनवरी 2023 को जमानत दे दी थी. महिला ने इस पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि आरोपी को इतनी जल्दी जमानत मिलना न्याय प्रणाली पर सवाल उठाता है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम विमान यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा और शालीनता सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है. अदालत ने कहा कि केंद्र और डीजीसीए को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. विमानन कंपनियों को भी जिम्मेदारी से काम करने और अपनी प्रक्रियाओं को मजबूत बनाने की सलाह दी गई है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)