Ajit Pawar News: भतीजे अजित पवार की हरकत से शरद पवार बेहद दुखी हैं. उन्‍हें चुनाव आयोग का फैसला 'हैरान करने वाला' लगता है. लगे भी क्‍यों न, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का नाम और सिंबल अब अजित खेमे के पास है. वहीं NCP जिसकी नींव खुद शरद पवार ने रखी थी. बीजेपी संग जाकर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम की कुर्सी पर बैठे अजित पवार ने चाचा का हाथ क्‍यों झटका? NCP के दो मंत्रियों के बयान से थोड़ा इशारा मिलता है. रविवार को छगन भुजबल और धनंजय मुंडे ने कहा कि NCP कार्यकर्ता चाहते हैं कि डिप्टी सीएम अजित पवार सीएम बन जाएं. दोनों ने कहा कि इस सपने को पूरा करने के लिए कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव में कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. भुजबल ने कहा कि इस सपने को पूरा करने के लिए एनसीपी को ओबीसी, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों समेत सभी वर्गों को एक साथ लेना होगा.


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शरद पवार से क्‍यों अलग हुए थे, अजित पवार ने बताया


भुजबल और मुंडे ने पुणे के इवेंट में जब यह बात कही, अजित पवार वहीं पर मौजूद थे. हालांकि, अजित ने समर्थकों से कहा कि वे सीएम पद के बारे में बात न करते रहें, ज्यादा से ज्यादा लोगों को NCP से जोड़ें. अजित पवार ने समर्थकों को यह भी समझाया कि वह क्‍यों शरद पवार के नेतृत्‍व वाली पार्टी से अलग हो गए. जूनियर पवार के मुताबिक, उन्होंने ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया कि NCP किसी भी राजनीतिक दल से पीछे न रह जाए.


'बिग ब्रदर' बनना चाहती है अजित पवार की NCP!


महाराष्ट्र की 285 सदस्यों वाली विधानसभा में अजित पवार की NCP के पास 38 विधायक हैं. सत्ताधारी NDA में 105 विधायकों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना के पास 39 सीटें हैं. यानी भले ही सीएम शिवसेना का हो, मगर 'बिग ब्रदर' की भूमिका में बीजेपी है. मुंडे और भुजबल ने जो कहा, उसे संकेत मानें तो अजित पवार का प्‍लान NDA में सबसे बड़ी पार्टी बनने का है. मतलब NCP चाहती है कि NDA में 'बिग ब्रदर' की भूमिका उसकी हो. तभी सीएम की कुर्सी पर अजित पवार (Ajit Pawar) का दावा सबसे मजबूत होगा.


'EC ने सिंबल ही नहीं छीना, पार्टी भी दूसरों को दे दी'


रविवार को NCP (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार भी पुणे में ही मौजूद थे. उन्‍होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल को उसके संस्थापक से कभी नहीं छीना गया. चुनाव आयोग के फैसले के बाद सीनियर पवार ने पहली बार  इस बारे में कुछ कहा है. उन्होंने कहा, चुनाव आयोग ने न सिर्फ हमारा चुनाव चिह्न छीना, बल्कि हमारी पार्टी भी दूसरों को सौंप दी.


पवार ने कहा, "EC का फैसला चौंकाने वाला था. उसने ने सिर्फ सिंबल छीन लिया, बल्कि पूरी पार्टी ही दूसरे गुट को सौंप दी गई. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था, लेकिन चुनाव आयोग ने यह भी संभव बना दिया." पवार खेमे ने EC के फैसले को SC में चुनौती दी है. पवार ने कहा कि लोग चुनाव आयोग के आदेश का समर्थन नहीं करेंगे.



पिछले दिनों अजित पवार (Ajit Pawar) ने बारामती में कहा था कि 'कुछ' लोग आगामी लोकसभा चुनाव को अपना आखिरी चुनाव बनाकर मतदाताओं से भावनात्मक अपील कर सकते हैं. इस पर शरद पवार ने कहा, ''मैंने बहुत पहले ही घोषणा कर दी थी कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा. बारामती के लोग समझदार हैं, वे जानते हैं कि किसने उनके लिए काम किया है..."