क्या अजमेर शरीफ दरगाह हिंदू मंदिर है? हिंदू संगठनों के दावे में कितनी सच्चाई, क्या कहते हैं इतिहासकार?
Reality of Ajmer Sharif Dargah: अब ज्ञानवापी परिसर की तरह अजमेर शरीफ दरगाह पर भी हिंदू संगठनों ने दावा ठोक दिया है. लेकिन इस दावे का आधार क्या है? और इस दावे में कितना दम है. ज़ी न्यूज़ ने अजमेर शरीफ दरगाह में प्राचीन मंदिर होने के दावों का ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर फैक्ट चेक किया है.
Ajmer Sharif Dargah Hindu Temple: क्या अजमेर शरीफ दरगाह वास्तव में एक शिव मंदिर है? क्या अजमेर शरीफ दरगाह प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी? क्या अजमेर शरीफ दरगाह मंदिर के खंडहरों पर बनाई गई है?
ये दावे किए हैं हिंदू सेना ने और इन दावों के आधार पर राजस्थान की अदालत में मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को मंदिर घोषित करने की मांग की गई है. याचिका में मांग की गई है कि दरगाह में हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिले.
महादेव शिव को दोबारा विराजमान किया जाए. ASI को दरगाह के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का निर्देश दिया जाए. दरगाह कमेटी का कब्जा भी हटाया जाए.
हिंदू संगठनों ने ठोका दावा
यानी अब ज्ञानवापी परिसर की तरह अजमेर शरीफ दरगाह पर भी हिंदू संगठनों ने दावा ठोक दिया है. लेकिन इस दावे का आधार क्या है? और इस दावे में कितना दम है. ज़ी न्यूज़ ने अजमेर शरीफ दरगाह में प्राचीन मंदिर होने के दावों का ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर फैक्ट चेक किया है.
अजमेर शरीफ दरगाह सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की समाधि इतिहास में दर्ज है कि ये दरगाह मुगल बादशाह हुमायूं ने बनवाई थी. लेकिन अब करीब आठ सौ साल बाद हिंदू संगठनों ने अजमेर शरीफ दरगाह पर अपना दावा ठोक दिया है.
हिंदू सेना ने अजमेर शरीफ दरगाह पर मंदिर होने का जो दावा पेश किया है, उसमें एक बड़ी दलील ये दी है कि किसी भी मुस्लिम किताब में ये दर्ज नहीं है कि दरगाह का निर्माण खाली जगह पर किया गया. इससे ये साफ होता है कि दरगाह का निर्माण किसी अन्य इमारत को बदलकर किया गया.
अजमेर शरीफ दरगाह मैनेजमेंट भड़का
और हिंदू सेना का दावा है कि वहां एक शिव मंदिर था, जिसे मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया था और फिर दरगाह बनाई गई थी. लेकिन हिंदुओं के दावे ने अजमेर शरीफ दरगाह के मैनेजमेंट को भड़का दिया है.
अजमेर शरीफ दरगाह है या मंदिर अब ये न्याय के मंदिर में तय होगा. लेकिन इतिहास में अजमेर शरीफ दरगाह के बारे में क्या लिखा है, जब हमने इसकी छानबीन की तो हमें राजस्थान के मशहूर इतिहासकार हर बिलास शारदा की किताब Ajmer–Historical and Descriptive मिली, जो वर्ष 1911 में छपी थी.
इस किताब में चैप्टर नंबर 8 में अजमेर शरीफ दरगाह के इतिहास से लेकर वास्तुकला के बारे में बताया गया है. किताब के पेज नंबर 88 पर लिखा है-:
दरगाह शरीफ परिसर में स्थित बुलंद दरवाजा हिंदू इमारत के अवशेषों से बना है.
दरगाह की तीन मंजिला छतरी की बनावट और इसके पत्थर हिंदू मंदिर होने की तरफ इशारा कर रहे हैं.
पेज नंबर 89 पर लिखा हुआ है कि दरगाह परिसर में मौजूद दरवाजा और बाकी के परिसर का निर्माण भी हिंदू मंदिर के खंभों से हुआ है.
इसी पेज पर दावा है कि दरगाह का निर्माण भी इस्लामिक काल के हिंदू मंदिरों के अवशेषों से किया गया है.
और आगे लिखा है कि दरगाह का निर्माण हिंदू मंदिर में कुछ बदलाव करके और जोड़कर किया गया है.
हिंदू पक्ष इतिहास के आधार पर दावा कर रहा है कि अजमेर शरीफ दरगाह में प्राचीन शिव मंदिर है. लेकिन इसे साबित करना और हिंदू मंदिर घोषित करवाना एक लंबी कानूनी लड़ाई है. लेकिन एक बात तो तय है कि मस्जिद और दरगाहों पर दावों की लिस्ट में एक और नाम जुड़ने जा रहा है.