गांव में गन्ने को भाला बनाकर प्रैक्टिस करने वाली अन्नू ने रचा इतिहास, एशियन गेम्स में गाड़े झंडे
Asian Games: मेरठ में जन्मीं अन्नू रानी चोरी छिपे भाला फेंकने की प्रैक्टिस करती थीं. उनके भाई उपेंद्र कुमार खेल कूद में काफी रूचि रखते थे और खुद भी एक धावक थे और विश्वविद्यालय में दौड़ते थे. उन्हीं को देखते हुए अन्नू ने भी खेल में रूचि जगाई.
Annu Rani Gold Medal: एशियन गेम्स में भारतीय एथलीटों की सफलताओं का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में भारत की स्टार भाला फेंक खिलाड़ी अन्नू रानी ने भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया है. अन्नू ने मंगलवार को भाला फेंक स्पर्धा में पहला स्थान हासिल किया और उन्होंने अपने चौथे प्रयास में सीजन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 62.92 मीटर भाला फेंका है. लेकिन अन्नू रानी की सफलता की कहानी कुछ अलग है. उत्तर प्रदेश के मेरठ से निकलीं अन्नू रानी ने संघर्षों की सीमा पार करते हुए इबारत के झंडे गाड़ दिए हैं.
दरअसल, अन्नू रानी ने गांवों की पगडंडियों पर गन्ने को भाला बनाकर प्रैक्टिस किया और कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने यह कर दिखाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेरठ में जन्मीं अन्नू रानी चोरी छिपे भाला फेंकने की प्रैक्टिस करती थीं. उनके भाई उपेंद्र कुमार खेल कूद में काफी रूचि रखते थे और खुद भी एक धावक थे और विश्वविद्यालय में दौड़ते थे. उन्हीं को देखते हुए अन्नू ने भी खेल में रूचि जगाई.
अन्नू रानी ने गांव के बगल खेतों में गन्ने को भाला बनाकर अभ्यास शुरू किया और धीरे-धीरे सफल होती गईं. उनके भाई ने उनकी काफी मदद की और जैवलिन थ्रो का अभ्यास शुरू कराया. अन्नू के परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि दो खिलाड़ियों पर होने वाले खर्चे को वहन कर सकें, इसे देखकर भाई उपेंद्र ने त्याग किया और बहन को आगे बढ़ाने में जुट गए और फिर वे एकदिन कामयाब हो गए.
देखते ही देखते अन्नू रानी भारत की स्टार खिलाड़ी बन गईं. इसी कड़ी में अब उन्होंने चीन में चल रहे एशियन गेम्स में झंडे गाड़ दिए हैं. यहां महिलाओं की भाला फेंक स्पर्धा में अन्नू रानी ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. अन्नू रानी ने 62.92 मीटर के साथ पीला तमगा हासिल किया. उन्होंने अपने चौथे प्रयास में सीजन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है.