उस साहसी महिला की उम्र केवल 33 साल थी. ससुराल के लोगों से रिश्ते इतने अच्छे थे कि अपनी सास की बहन (पति की सगी मौसी) के लिए लिवर डोनेट करने को तैयार हो गई. घरवाले थोड़े झिझक रहे थे लेकिन अर्चना कामत बिल्कुल भी नहीं. जिस महिला को लिवर मिलना था, उनकी उम्र 63 साल से ज्यादा थी. 4 सितंबर को बेंगलुरु के अस्पताल में अर्चना की सर्जरी हुई और लिवर डोनेशन की प्रक्रिया पूरी हुई. उसे सात दिन के लिए अस्पताल में ही रुकना पड़ा. इसके बाद जिस दिन अस्पताल से छुट्टी मिली उसे परेशानी होने लगी. जल्द ही फिर से भर्ती होना पड़ा. इन्फेक्शन बढ़ा और उसने दम तोड़ दिया.


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सोशल मीडिया पर पूरी घटना का एक वीडियो चित्रण देख लोगों की आंखें नम हैं. अर्चना कामत की पूरी कहानी वीडियो में दिखाई गई है. उनका हंसता-खेलता परिवार उजड़ गया. अर्चना का बेटा अभी 4 साल का हुआ ही है. उन्होंने स्वेच्छा से अपने रिश्तेदार की मदद की थी लेकिन सर्जरी के बाद की जटिलताओं ने उसे अपनों से दूर कर दिया.



TOI की रिपोर्ट के मुताबिक ऑपरेशन की प्रक्रिया सुचारू रूप से चली थी लेकिन बाद में जटिलताएं हुईं जो घातक साबित हुईं.


सर्जरी के बाद क्या हुआ?


अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद अर्चना को दिक्कत महसूस होने लगी थी. उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया. उन्हें संक्रमण फैलने लगा था.


उनके परिवार में पति और चार साल का बेटा है. घरवालों का रो-रोकर बुरा हाल है. परिजन काफी समय से लिवर डोनर की तलाश में थे फिर एक दिन अर्चना मदद के लिए आगे आईं. बताते हैं कि जिस दिन लिवर ट्रांसप्लांट होना था लिवर प्राप्त करने वाली बुजुर्ग महिला के बेटे ने अर्चना से पूछा था कि क्या वह प्रोसीजर को लेकर पूरी तरह से श्योर हैं.


9 साल पहले उनकी शादी हुई थी. कुछ समय से मासी की तबीयत खराब रहने लगी थी, जो अर्चना के बेहद करीब थीं. अब सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि वह एंजेल थीं जिन्होंने दूसरे के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी. कई तरह की प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर आ रही है. लोग उनके परिवार के लिए सांत्वना व्यक्त कर रहे हैं.