कमलाक्ष भट्टाचार्य, कोलकाता: कहीं आप चीन से इंपोर्टेड लहसुन तो नहीं खा रहे हैं? वाणिज्य मंत्रालय ने पांच साल पहले चीन से लहसुन की खरीद बिक्री पर रोक लगाई थी लेकिन कोलकाता में हाल ही में चीनी लहसुन पाया गया है.  जानकारों का कहना है कि चीन से आने वाले लहसुन के ऊपरी भाग देखने से तो सफेद है लेकिन उसके अंदर के बीज गुलाबी या थोड़े काले रंग की होते हैं. साथ ही इनका आकर बड़ा होता है.


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फिलहाल, चीन में कोरोना वायरस से हुई हजारों मौत से लोगों के अंदर डर फैला हुआ है. अगर चीनी लहसुन के बात करें तो इसे क्लोरीन से ब्लीच किया जाता है ताकि ये देखने में ऊपर से एकदम सफेद दिखे. इसमें कीड़ा मारने वाली औषधि उपयोग किया जाता है. जानकारों ने ये भी बताया कि चीनी लहसुन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और कासीनजन (carcinogenic) और  जहरीला (toxic ) होता है. लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने पर स्वास्थ्य रोग होने की संभावना है. 


पश्चिम बंगाल  टास्क फोर्स के सदसय कमल दे ने बताया कि जब से चीनी लहसुन की खरीद बिक्री बंद किया गया तबसे एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट और टास्क फोर्स की टीम सभी मंडियों और दुकानों में जाकर जांच करते हैं  ताकि ये आम जनता तक न पहुंचे. उन्होंने ये भी कहा कि ये लहसुन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, आम लोगों तक ये सुचना पहुंचाने के लिए मीडिया और अख़बार के जरिये लोग को आगाह किया जा रहा है. 


जाधवपुर यूनिवर्सिटी फूड टेक्नोलॉजी एंड बायो केमिकल डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉक्टर प्रशांत कुमार विस्वास की मानें तो लहसुन एक औसधि के रूप में काम करता है. इसमें भरपूर एल्लीसिन होती है. ये ब्लड प्रेशर रोकने में काम आता है, लेकिन चीनी से आने वाले लहसुन लंबे समय तक स्टोर करने पर उसमें एल्लीसिन नहीं रहता है. इसमें फंगस जल्दी लगता है. कई बार ये भी देखा गया है कि इसको ताजा बनाए रखने के लिए भारी मात्रा में कासीनजन (carcinogenic) इस्तेमाल किया जाता है. 


कोलकाता के कई मंडियों में इस लहसुन के बेचे जाने की खबर है. भारत देश लहसुन उत्पादन में नंबर 2 पर है इसलिए हमें आयात करने के कोई जरूरत नहीं है. काले बाजार के जरिये बांग्लादेश और म्यांमार से बंगाल में लाया गया है और लगभग 400 बोरी कस्टम डिपार्टमेंट ने पकड़ा गया है.