नयी दिल्ली: नये सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने आज कहा कि देश और सेना सीमा पर शांति और धैर्य बनाए रखना चाहते हैं लेकिन किसी भी तरह से हम शक्ति का प्रयोग करने से ‘नहीं हिचकेंगे।’ जनरल रावत ने स्पष्ट कर दिया कि पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और दक्षिण के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी. एम. हारिज सेना में सेवा देते रहेंगे और सेना की एकता और शक्ति को बनाए रखने में मदद करेंगे। रावत को जनरल बख्शी और जनरल हारिज की वरीयता को नजरअंदाज कर सेना प्रमुख बनाया गया है।


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

साउथ ब्लॉक में गार्ड ऑफ ऑनर लेने के बाद जनरल रावत ने कहा, ‘हमारा देश, हमारी सेना सीमा पर शांति और धैर्य चाहती है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम कमजोर हैं। हम हर तरह से सक्षम और शक्तिशाली हैं और अगर जरूरत हुई तो हम किसी भी तरह से शक्ति का प्रयोग करने से नहीं हिचकेंगे।’


उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य है कि सीमा पर शांति बनी रहे। लेकिन मैं फिर कहता हूं कि अगर जरूरत हुई तो हम बल का प्रयोग करने से नहीं हिचकेंगे।’ भारत का पाकिस्तान के साथ 3323 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है जिसमें 749 किलोमीटर नियंत्रण रेखा है। भारतीय सेना ने वर्ष 2016 में जम्मू..कश्मीर में 60 सैनिक गंवाए और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा लगातार संघषर्विराम उल्लंघन किए गए।


जनरल रावत ने सेना के सभी रैंक को संदेश देते हुए कहा कि हर सैनिक मायने रखता है। जनरल रावत ने कहा, ‘सैन्यकर्मियों के हर वर्ग की जवाबदेही के प्रति मैं सजग हूं। सेना में हर व्यक्ति, हर सैनिक मायने रखता है क्योंकि हर सैनिक के योगदान के कारण सेना सक्षम और मजबूत बनती है।’ 


वह कल भारतीय सेना के 27वें प्रमुख बने थे और उन्होंने जनरल दलबीर सिंह सुहाग का स्थान लिया जो 42 वर्षों की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए।


जनरल रावत ने कहा, ‘मैं सैन्यकर्मियों के हर वर्ग को बताना चाहता हूं कि सेना में हर कोई चाहे वह कोई भी हो वह अपने काम के हिसाब से मेरी नजर में बराबर है।’उनके बयान ऐसे समय में आए हैं जब आर्मर्ड कोर में लगता है कि केवल इन्फैंटरी कोर मजबूत स्थिति में है और जनरल बख्शी सेना प्रमुख इसलिए नहीं बन पाए कि वह आर्मर्ड कोर के हैं। जनरल रावत इन्फैंटरी कोर से ताल्लुक रखते हैं।


जनरल रावत और उनके पूर्ववर्ती जनरल सुहाग गोरखा रेजिमेंट के हैं। साथ ही सेना में प्रमुख पदों पर आसीन वरिष्ठ अधिकारी भी गोरखा रेजिमेंट के ही हैं। जनरल रावत ने कहा कि वह सेनाध्यक्ष चुने जाने के सरकार के फैसले को विनम्रता से स्वीकार करते है। और उन अधिकारियों का भी सम्मान करते हैं जिन्हें तरजीह देकर उन्हें यह दायित्व सौंपा गया।