Delhi : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले अरविंदर सिंह लवली को पार्टी में ही कई पुराने साथियों का समर्थन मिल रहा है. इनमें से कई पूर्व विधायक दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन से नाराज हैं. बता दें, कि लवली ने रविवार ( 28 अप्रैल ) को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था और सोमवार ( 29 अप्रैल ) दोपहर तक कांग्रेस के तीन दर्जन से ज्यादा पूर्व विधायक उनसे बात- मुलाकात कर चुके हैं.


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उधर कांग्रेस ने दिल्ली में नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश शुरू कर दी है. पार्टी का कहना है कि जल्द ही इसकी घोषणा भी कर दी जाएगी. पार्टी के इस कदम से अब लवली और कांग्रेस के बीच दूरियां और अधिक बढ़ती दिखाई दे रही हैं.


 


इस बीच भाजपा ने स्पष्ट किया है, कि राष्ट्र को सशक्त करने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति का वह पार्टी में स्वागत करेगी. हालांकि, लवली ने अभी तक कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है.
गौरतलब है, कि जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को उत्तर पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. लवली कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी को लेकर नाराज हैं. इससे पहले टिकट वितरण से नाराज होकर वर्ष 2017 में भी लवली ने इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे.


 


प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का कहना है, कि न केवल अरविंदर सिंह लवली बल्कि हाल ही में संदीप दीक्षित व कन्हैया कुमार के बीच बैठक के दौरान काफी बहस हुई. इस बैठक में दिल्ली के प्रभारी दीपक बाबरिया भी मौजूद थे.


कांग्रेस नेताओं के मुताबिक इससे पहले उत्तर पश्चिमी दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज के साथ बैठक में पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान और प्रदेश इंचार्ज दीपक बावरिया के बीच भी भरी सभा में गंभीर कहा सुनी हुई थी.


 


कांग्रेस के नेताओं का भी मानना है कि टिकट बंटवारे के बाद हो रही इस तकरार के कारण दिल्ली कांग्रेस के कई नेता अलग-अलग गुट में बंट गए हैं. दबी जुबान में कांग्रेस के नेता कहते हैं कि कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी का अंदरखाने काफी विरोध हो रहा है. हाईकमान को भी इसकी जानकारी है, यही कारण है कि प्रदेश इंचार्ज दीपक बाबरिया ने 19 अप्रैल को एक बैठक बुलाई, इसी बैठक में संदीप दीक्षित की कन्हैया कुमार के साथ बहस हुई और उन्होंने दीपक बाबरिया से भी अपना विरोध दर्ज कराया.


 


सोमवार ( 29 अप्रैल ) को जब दीक्षित से बात की गई तो वह विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में व्यस्त थे. पूर्व सांसद संदीप दीक्षित के मुताबिक आज की तारीख में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनना कांटों का ताज संभालने जैसा है. बावजूद इसके अरविंदर सिंह लवली ने बीते कई महीनो में मेहनत कर पार्टी को मजबूत करने का काम किया.


दरअसल, लवली ने इस्तीफा अचानक नहीं दिया है, बल्कि वह बीते कई दिनों से पार्टी ऑफिस तक नहीं आ रहे थे. लवली समर्थक कांग्रेस नेता कहते हैं कि उनकी लगातार अनदेखी की जा रही थी. दिल्ली कांग्रेस को मजबूत करने के लिए जो भी निर्णय लिए गए, आला कमान ने उन्हें मंजूरी नहीं दी. केवल इतना ही नहीं, दिल्ली में बाहरी उम्मीदवार थोपे गए और दिल्ली कांग्रेस के नेताओं की लगातार अनदेखी की जा रही है.