रामनवमी और रमजान के महीने में बिहार में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में एआईएआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा है. ओवैसी ने कहा कि क्या तेजस्वी और उनके चाचा इस नुकसान की भरपाई कर पाएंगे. 


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ओवैसी ने तेजस्वी यादव के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा, 'मसला सिर्फ सद्भाव का नहीं है. सरकार आपकी है, आपकी जिम्मेदारी है कि सबके जान और माल की हिफाजत हो. तारीखी मदरसा अजीजिया को जला दिया गया. कुरान शरीफ के जले हुए पन्ने हमने देखे. क्या आप या चाचा वहां जाएंगे? क्या मरम्मत की जिम्मेदारी सरकार लेगी? या दूसरों का वोट खोने का डर है?' 


इससे पहले तेजस्वी ने ट्वीट किया था, 'बिहार में सद्भाव बिगाड़ने की संघी कोशिश पर बिहार सरकार की पैनी नजर है. जिन राज्यों में BJP कमजोर है वहां बौखलाई हुई है. एक-एक उपद्रवी को चिन्हित कर कठोरतम कारवाई की जा रही है. भाईचारे को तोड़ने के किसी भी भाजपाई 'प्रयोग' का हमने हमेशा माकूल जवाब दिया है और देते रहेंगे. जय हिन्द.'


 



हिंसा मामले में 173 गिरफ्तार
रामनवमी जुलूस के दौरान नालंदा और सासाराम में भड़के सांप्रदायिक तनाव के मामले में बिहार पुलिस ने अब तक 173 लोगों को गिरफ्तार किया है. अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जेएस गंगवार ने लोगों से शांत रहने की अपील की और बताया कि शनिवार व रविवार को हुई झड़पों के बाद दोनों जिलों में इंटरनेट सेवाएं रद्द कर दी गई हैं.


उन्होंने कहा कि दोनों शहरों में स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है. अपराधियों की पहचान के लिए गंगवार पुलिस सीसीटीवी खंगाल रही है. शहरों में सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त कंपनियां तैनात हैं. सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखी जा रही है.


शासन करने की इच्छा खो चुके हैं नीतीश- भाजपा
बिहार में सांप्रदायिक हिंसा को लेकर बीजेपी ने सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर आलोचना की. बीजेपी ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे वो शासन करने की अपनी इच्छा खो चुके हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने की जगह राज्य की चिंता करनी चाहिए.


उन्होंने कहा, ‘अगर यह भाजपा की साजिश है, तो आपने इसका पर्दाफाश क्यों नहीं किया? राज्य भर में रामनवमी जुलूस में भाग लेने वाले लाखों लोग भाजपा के सदस्य नहीं हैं, लेकिन हिंदू समाज से संबंधित हैं. वे किसी भी पार्टी से हो सकते हैं. मुख्यमंत्री के रूप में अपने 17 साल के कार्यकाल में पहली बार नीतीश कुमार ऐसी स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ रहे हैं. पिछले साल ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी, क्योंकि पर्याप्त सुरक्षा तैनाती की गई थी. इस साल सख्त कदम क्यों नहीं उठाए गए.’