Asaduddin Owaisi News: ओवैसी ने की 50% आरक्षण लिमिट बढ़ाने की मांग, रोहिणी कमीशन का हवाला देकर कही ऐसी बात
Rohini Commission Report: असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने मोदी सरकार से आरक्षण (Reservation) की लिमिट बढ़ाने की मांग कर दी है. ओवेसी ने रोहिणी कमीशन का हवाला देकर ये बात कही है.
Asaduddin Owaisi Demand: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) मामले को एक बार फिर उठाया है. ओवैसी ने मांग की है कि रिजर्वेशन कोटा की 50 फीसदी लिमिट को बढ़ा देना चाहिए. ओवैसी ने इसके पीछे दलील दी कि इसकी वजह कुछ लोगों को आजतक आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है. ओवैसी ने रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए आरक्षण कोटा बढ़ाने की मांग की. आइए जानते हैं कि असदुद्दीन ओवैसी ने आरक्षण पर क्या कहा?
आरक्षण पर ओवैसी का बयान
ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट किया कि भारत की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी मात्र 27 फीसदी (आरक्षण) के लिए कम्पटीशन करने के लिए मजबूर है. नरेंद्र मोदी सरकार को 50 फीसदी की लिमिट को बढ़ाना चाहिए और उन ग्रुप्स के लिए आरक्षण का विस्तार करना चाहिए जिन्हें कभी आरक्षण का लाभ नहीं मिला. कुछ प्रमुख जातियों ने सभी तरह के लाभ पर कब्जा कर लिया है.
ओवैसी ने कर दी बड़ी मांग
एक अन्य पोस्ट में ओवैसी ने आगे लिखा कि सब-क्लासीफिकेशन समानता के आधार पर किया जाना चाहिए ताकि एक छोटे बुनकर परिवार के बच्चे को पूर्व जमींदार के बेटे के साथ मुकाबला करने के लिए मजबूर ना होना पड़े. जो समुदाय राज्य की बीसी लिस्ट में शामिल हैं, उन्हें केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल किया जाना चाहिए.
क्या है रोहिणी कमीशन?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट में 2600 से ज्यादा ओबीसी जातियों की एक लिस्ट उपलब्ध कराई गई है. रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट 1 हजार से ज्यादा पन्नों की है. यह दो भागों में है. पहले भाग में सुझाव दिए गए हैं कि ओबीसी कोटा कैसे दिया जाना चाहिए. वहीं, दूसरे भाग में 2,633 ओबीसी जातियों की अपडेटेड लिस्ट दी गई है.
ओबीसी आरक्षण पर रोहिणी कमीशन का कहना है कि सब-क्लासीफिकेशन का उद्देश्य ओबीसी के बीच एक नई हायरार्की स्थापित करना नहीं है, बल्कि सभी को समान मौके देना है. रोहिणी कमीशन को अक्टूबर, 2017 में बनाया गया था. इसे सुनिश्चित करना था कि आरक्षण का लाभ कुछ प्रमुख ओबीसी तक ही सीमित न रहे.