Asaduddin Owaisi on Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का एक बयान चर्चा में है. उन्होंने कहा कि हिन्दू हमारी पहचान, राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने एवं साथ लेकर चलने की प्रवृति है और इस्लाम को देश में कोई खतरा नहीं है, लेकिन उसे ‘हम बड़े हैं’ का भाव छोड़ना पड़ेगा. भागवत के इस बयान पर हैदराबाद के सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, आप इस्लाम से लोगों को डरा रहे हैं. भारत में मुसलमान सुपीरियर होने का कहां क्लेम कर रहा है.


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ओवैसी ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, मोहन भागवत डायरेक्ट वॉर की बात कर रहे हैं. आप मुसलमानों से क्यों डरते हैं. चीन कब्ज़ा करके बैठा है उसपर मोहन भगवत क्यों नहीं बोलते हैं. मुझे डराकर दोस्ती करेंगे. फिर संविधान क्यों है. ये 2024 के चुनाव की तैयारी है. ओवैसी ने कहा कि मोहन भागवत नहीं चाहते कि मुसलमान आगे बढ़ें. आप भारत के मुसलमानों से क्यों डरते हैं. आप उच्च जाति के हैं. आप आजादी के अमृत महोत्सव ऐसे मना रहे हैं. 


मोहन भागवत ने क्या कहा था? 


ऑर्गेनाइजर’ और ‘पांचजन्य’ को दिए इंटरव्यू में सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दू हमारी पहचान, राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने एवं साथ लेकर चलने की प्रवृति है. सरसंघचालक ने कहा, हिन्दुस्थान, हिन्दुस्थान बना रहे, सीधी सी बात है. इससे आज भारत में जो मुसलमान हैं, उन्हें कोई नुकसान नहीं है. वह हैं. रहना चाहते हैं, रहें. पूर्वज के पास वापस आना चाहते हैं, आएं. उनके मन पर है. 


उन्होंने कहा, इस्लाम को कोई खतरा नहीं है, लेकिन हम बड़े हैं, हम एक समय राजा थे, हम फिर से राजा बने...यह छोड़ना पड़ेगा और किसी कोई भी छोड़ना पड़ेगा. साथ ही, भागवत ने कहा ऐसा सोचने वाला कोई हिन्दू है, उसे भी (यह भाव) छोड़ना पड़ेगा. कम्युनिस्ट है, उनको भी छोड़ना पड़ेगा.


भागवत ने कहा कि एकमात्र हिन्दू समाज ऐसा है जो आक्रामक नहीं है, इसलिए अनाक्रामकता, अहिंसा, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता..यह सब बचाए रखना है. उन्होंने कहा, तिमोर, सूडान को हमने देखा, पाकिस्तान बना, यह हमने देखा. ऐसा क्यों हुआ? राजनीति छोड़कर अगर तटस्थ होकर विचार करें कि पाकिस्तान क्यों बना? उन्होंने कहा, जब से इतिहास में आंखे खुली तब भारत अखंड था. इस्लाम के आक्रमण और फिर अंग्रेजों के जाने के बाद यह देश कैसे टूट गया.. यह सब हमको इसलिए भुगतना पड़ा क्योंकि हम हिन्दू भाव को भूल गए.


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