Arm Transplant: भारत में डॉक्टरों ने किया करिश्मा! देश में हुआ एशिया का पहला Arm Transplant
Arm Transplant in India: हादसे में दोनों हाथ गंवाने वाले शख्स को चार साल तक अंगदान का इंतजार करने के बाद मिले ट्रांसप्लांट के लिए बाजू. आइये आपको बताते हैं कैसे हुआ एशिया का पहला आर्म ट्रांसप्लांट.
Asia s first arm transplant: 25 साल के अमरेश का इंतजार आखिरकार खत्म हुआ है. सालों के इंतजार के बाद अमरेश के हाथ ट्रांसप्लांट हो सके हैं. भारत में ये अपनी तरह की पहली सर्जरी है. जिसमें कंधे से पूरे हाथ को जोड़ा गया है. अमरेश को 2017 में इलेक्ट्रिक केबल ठीक करते समय करंट लग गया था. इससे अमरेश के दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए थे. उसका बायां हाथ कंधे से और दाहिना हाथ कोहनी से काटना पड़ा था. जिससे उसकी जान बच सकी थी. हाथों के जो हिस्से बचे थे वो भी 11 हज़ार वोल्ट का करंट लगने की वजह से बेजान थे. केरल के कोच्चि में अमृता अस्पताल के डॉक्टरों ने 18 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद इस कीर्तिमान को हासिल किया है.
चार साल बाद खत्म हुआ इंतजार
54 साल के एक व्यक्ति के सड़क हादसे में मारे जाने के बाद उसके परिवार ने उसके सभी अंग दान कर दिए थे. जिसके बाद अमरेश को दोनों हाथ मिले. 54 साल का ये व्यक्ति खाड़ी देश में काम करता था और छुट्टी में अपने घर केरल के कोल्लम आया हुआ था. जहां वो रोड एक्सीडेंट में मारा गया. अमरेश ने सितंबर 2018 में केरल के Network for Organ Sharing (KNOS) में अपना नाम रजिस्टर करवाया था और उसका इंतजार चार साल बाद पूरा हुआ है.
20 सर्जन ने मिलकर किया ऑपरेशन
इस सर्जरी को करने में 20 सर्जन को एक साथ लगना पड़ा और 10 एनेस्थिसिया के डॉक्टर भी सर्जरी में शामिल रहे. ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सुब्रमण्यम अय्यर के मुताबिक सर्जरी के बाद अमरेश के ऊपरी बाजू में ब्लड सप्लाई नहीं हो रहा था. इसके लिए दो और सर्जरी करनी पड़ी. सर्जरी के तीन हफ्ते बाद जाकर अमरेश को छुट्टी मिल सकी.
महीनों की मेहनत सफल
ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. मोहित शर्मा के मुताबिक जनवरी में हुई सर्जरी को सफल कहा जा सके, इसके लिए 9 महीने तक इंतजार करना पड़ा. जितना बड़ा अंग प्रत्यारोपित होता है, उसके हर हिस्से तक ब्लड सप्लाई पहुंचना और उसमें ताकत आना उतनी ही बड़ी चुनौती होती है. करंट की वजह से हाथों की नर्व्स बेजान थी. अमरेश का हाथ तकरीबन 9 महीने बाद काम करने लगा है. ये सर्जरी 5 जनवरी 2022 को हुई थी. उसके बाद महीनों तक फिजियोथेरेपी, स्टिम्युलेशन थेरेपी चली और ये कामयाबी मिली.
लोग नहीं करते Organ Donation
कहते हैं जब कोई व्यक्ति इस दुनिया से चला जाता है तो वह लोगों की यादों में हमेशा जीवित रहता है. हालांकि Organ Donation की मदद से कोई व्यक्ति, दूसरों के शरीर में भी जीवित रह सकता है. अब आपको अमर बनाने वाले अंगदान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी बताते हैं. हमारे शरीर के जिन 17 अंगों को दान किया जा सकता है उनमें प्रमुख हैं, Heart, Lungs, Liver, Kidneys और Skin. अंगदान के मामले में हमारे देश में जागरूकता की कमी है. देश में हर वर्ष Organ Transplant के लिए 5 लाख अंगों की जरूरत होती है. लेकिन जरूरत के मुताबिक Organs नहीं मिल पाते हैं .
ये आंकड़ा चौंकाने वाला
हर वर्ष 2 लाख Cornea की जरूरत है लेकिन सिर्फ 50 हजार ही दान किए जाते हैं. Kidney के मामले में ये अंतर और भी ज्यादा है. हर वर्ष 2 लाख Kidneys की Demand है लेकिन मिलती हैं सिर्फ 1684. ज्यादातर केस में परिवार का कोई सदस्य जीवित रहते हुए अपनी एक किडनी डोनेट करता है. देश में Heart की जरूरत वाले हर 147 लोगों में सिर्फ 1 को ही ये Organ मिलता है. Liver के मामले में हर 70 में से 1 व्यक्ति की Demand ही पूरी होती है. यानी भारत में Organs की बहुत ज्यादा कमी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां रोली प्रजापति के परिवार की तरह अंगदान का फैसला लेने वाले लोगों की कमी है.
10 लाख लोगों में 1 व्यक्ति भी अंगदान नहीं करता
देश में हर 10 लाख लोगों में 1 व्यक्ति भी अंगदान नहीं करता है. जबकि अमेरिका में हर 10 लाख लोगों में 32 और स्पेन में 46 लोग Organ Donate करते हैं. हालांकि भारत अब ट्रांसप्लांट करने के मामले में तीसरे नंबर पर है. अमेरिका और चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट हुए हैं. लेकिन आज भी भारत में 0.01 प्रतिशत लोग ही अंगदान करते हैं. जबकि रोड एक्सीडेंट्स में भारत का नंबर पहला है. रोड एक्सीडेंटस में दुर्भाग्य से ब्रेन डेड हो चुके लोगों के अंग काम में लाए जा सकते हैं.
ये स्टोरी आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर