नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 5 राज्यों के विधान सभा चुनाव से पहले ही तीनों कृषि कानून वापस ले लिए. मोदी सरकार का कहना है कि किसान हित में कानून लाया गया था लेकिन देशहित में इसे वापस ले लिया गया है. हालांकि सरकार के फैसले के बाद भी विपक्ष हमलावर है. तो इसके पीछे के सियासी दांव को समझना बेहद जरूरी है क्योंकि इस फैसले का सीधा असर पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव पर पड़ने जा रहा है.


चुनावी दांव 1


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उत्तर प्रदेश में अगले साल विधान सभा चुनाव होने जा रहे हैं. इस कदम से बीजेपी पश्चिमी यूपी को साधने की कोशिश करेगी. जाट समुदाय को बीजेपी का काफी बड़ा वोट बैंक माना जाता है, ऐसे में पीएम मोदी के इस फैसले को जाट वोट बैंक से जोड़कर भी देखा जा रहा है. पिछले चुनावों में जाट वोट से बीजेपी को फायदा हुआ था. 


चुनावी दांव 2


सरकार के तीनों कृषि कानूनों का विरोध पंजाब में सबसे पहले शुरू हुआ था. पंजाब के किसा बीते एक साल से ज्यादा समय से दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. अगले साल पंजाब में भी विधान सभा चुनाव होने हैं ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि पीएम मोदी ने अपने इस मास्टर स्ट्रोक से पंजाब को साधने की कोशिश की है. 


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चुनावी दांव 3


पीएम के इस दांव से पंजाब में बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल (SAD) से भी नजदीकी बढ़ेगी. कहा ये भी जा रहा है कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और बीजेपी साथ आ सकते हैं. ऐसे में बीजेपी नेताओं की मुश्किल कम होगी. कृषि कानूनों के कारण बीजेपी नेता पंजाब में प्रचार नहीं कर पा रहे थे. 


चुनावी दांव 4


केंद्र सरकार के इस फैसले से बीजेपी को हिमाचल प्रदेश में भी उप चुनावों में काफी नुकसान हुआ. किसान आंदोलन के कारण उप चुनाव में बीजेपी की हार हुई. 


चुनावी दांव 5


हिमाचल प्रदेश में अगले साल विधान सभा चुनाव भी हैं ऐसे में सरकार के इस फैसले से किसानों की नाराजगी कम होगी. गौरतलब है कि शुक्रवार को गुरु परब के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान किया. पीएम ने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कृषि कानून को वापस लेने के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक लाया जाएगा. साथ ही किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील की. 


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किसान आंदोलन का क्या होगा? 


वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का आंदोलन जारी रहेगा. राकेश टिकैत का कहना है कि MSP कानून बनने तक आंदोलन जारी रहेगा. 


कांग्रेस ने बताया- हार का डर


प्रधानमंत्री के फैसले पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है. कांग्रेस ने कहा कि आगामी विधान सभा चुनाव में हार के डर से सरकार ने ये फैसला लिया है और कहा कि अन्नदाता ने अहंकार का सिर झुकाया है.