Jammu Kashmir Elections News 2024: कहते हैं कि अगर किसी राज्य या देश में बदलाव होता है तो वह युवा पीढ़ी के जरिए आता है. कश्मीर घाटी की नई पीढ़ी ने भी बदलाव लाने का फैसला किया है, वह भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए. बांदीपुरा जिले के सोनावारी विधानसभा क्षेत्र में मतदान केंद्र पर पहली बार वोट देने आई 18 वर्षीय बिस्मा ने भी बदलाव की उम्मीद के साथ अपना वोट दिया. बिस्मा ने करीब दो घंटे तक मतदान केंद्र पर कतार में खड़ी रहकर अपना वोट डाला.


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कश्मीर में सुबह से लगी रही यंग वोटर्स की लाइन


बिस्मा ने कहा, "यह मेरा पहला वोट है. मैंने ऐसे व्यक्ति को वोट दिया है, जो हमें बदलाव देगा क्योंकि पिछली बार जो हुआ वह इस बार फिर नहीं होना चाहिए. मुझे लगता है कि अगर हमने इस बार सही व्यक्ति को चुना तो हमारा कल बेहतर होगा, हमारी सोच बदल गई है.


कश्मीर चुनाव के आखिरी चरण में लंबी कतारों में दिखने वाली बिस्मा अकेली युवा मतदाता नहीं थीं. बिस्मा की तरह ही हजारों युवा सुबह से ही उत्तरी कश्मीर के मतदान केंद्रों पर कतारों में खड़े नजर आए. बांदीपुरा से लेकर बारामूला से लेकर कुपवाड़ा तक, हर जगह युवा अपनी आजादी और नए कश्मीर के निर्माण के लिए वोट डालने निकले. 


'युवाओं की बात सुनें, पाबंदियां हटाएं'


बारामूला जिले के सिंहपोरा मतदान केंद्र पर युवा मेले जैसा माहौल था. 21 वर्षीय नासिर जब मतदान केंद्र में अपने जीवन का पहला वोट डालने के लिए पहुंचे तो उनके चेहरे पर उत्साह और बेहतर भविष्य की उम्मीद साफ झलक रही थी. 


नासिर ने कहा, 'युवा इसलिए मतदान कर रहे हैं ताकि हमें आजादी मिले, न कि वह आजादी जिसकी हम 90 के दशक में मांग कर रहे थे. हम चाहते हैं कि हम पर लगी पाबंदियां खत्म हों. भारत सरकार से सबसे बड़ी गुजारिश यही है कि इस बार वे युवाओं की बात सुनें और उन पर लगी पाबंदियां हटाएं, हमें हमारे लोकतांत्रिक अधिकार दें. 


'आरक्षण के अनुपात को कम किया जाए'


बांदीपुरा के युवा डॉक्टर यासिर, जिन्होंने हाल ही में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है, आज बिना नाश्ता किए मतदान केंद्र पर नजर आए. एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद यासिर बेरोजगार हैं और उन्हें उम्मीद है कि नई चुनी गई सरकार कोई समाधान निकालेगी.


डॉ. यासिर ने कहा, 'यहां सबसे बड़ी दुविधा आरक्षण की है, जिसने जम्मू-कश्मीर के युवाओं को निराश किया है. पहले 50% आरक्षण हुआ करता था और 50% सामान्य वर्ग के लिए था, लेकिन अब यह अनुपात 70/30 हो गया है. इसे कम किया जाना चाहिए, यह सबसे बड़ा मुद्दा है, हमें उम्मीद है कि नई सरकार इस पर काम करेगी. यह एक नई दुनिया है, अगर वे जीते हुए प्रत्याशी अपने वादे पूरे नहीं करते हैं, तो लोग उन्हें बाहर कर देंगे. हमें उम्मीद है कि वे अच्छा करेंगे और युवाओं को निराश नहीं करेंगे.' 


पहले दो चरणों की तुलना में ज्यादा मतदान


अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद लगभग दस वर्षों के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए पहले विधानसभा चुनाव आज तीसरे चरण के मतदान के साथ एक नए जोश और जश्न के साथ समाप्त हो गए. लेकिन आज का तीसरा चरण इस मायने में महत्वपूर्ण रहा कि इसमें पिछले दो चरणों की तुलना में अधिक मतदान दर्ज किया गया. 65.65% मतदान हुआ जो एक रिकॉर्ड मतदान है और यह दर्शाता है कि जम्मू कश्मीर, खासकर घाटी बहिष्कार के अंधेरे से निकलकर लोकतंत्र की रोशनी में आ गई है. 


पहले चरण में 61% और दूसरे चरण में 58% मतदान हुआ और उस बंपर वोटिंग का असर बड़े नेताओं पर भी देखने को मिला, जो बहिष्कार के चलते अपनी जीत दर्ज करना आसान समझ रहे थे, लेकिन अब उन्हें कड़ी टक्कर मिलती नजर आ रही है.


8 अक्टूबर को खुलेंगे ईवीएम के बक्से


चुनाव परिणाम इतने अप्रत्याशित हैं कि कोई नहीं जानता कि ईवीएम का बक्सा खुलने पर किसके घर जश्न मनाया जाएगा. चाहे राष्ट्रीय राजनीतिक दल कांग्रेस भाजपा हो या क्षेत्रीय दल एनसी या पीडीपी, सभी दुविधा में हैं. इन चुनावों ने साफ कर दिया कि 8 अक्टूबर को जब नतीजे आएंगे, तो एक नए जम्मू-कश्मीर की यात्रा शुरू होगी.