Ali Ahmed Letter: माफिया अतीक अहमद (Atique Ahmed) सियासत के दायरे में जिंदा है. अतीक का अतीत आज भी उसके कुनबे के लिए डिफेंस का सबसे बड़ा हथियार है. इसकी तस्दीक अतीक के बेटे अली अहमद (Ali Ahmed) के नाम से सामने आई पर्ची कर रही है, जिसकी लिखावट मुस्लिमों के लिए किसी चुनावी फतवे की मानिंद है. दरअसल एक लेटर वायरल हो रहा है, उसमें लिखा है कि आप मुसलमान भाई एक हो जाएं. बीजेपी-समाजवादी पार्टी (BJP-SP) को वोट न दें. मुसलमान किसी के बहकावे में नहीं आएंगे. दावा किया जा रहा है कि ये लेटर अतीक के बेटे अली ने लिखा है. माना जा रहा है कि माफिया अतीक अहमद ने अपने जमाने में जो बोया उसकी फसल काटने में उसका कुनबा पीछे नहीं रहना चाहता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यूपी के 'दंगल' में एक बड़ा 'खेल'


अतीक की सियासत की सीढ़ियां आम लोगों में पैठ बना चुके उसके खौफ पर टिकी थीं. वो दिलों पर राज नहीं करता था बल्कि उसने आम जनमानस में अपने गुर्गों और असलहों से डर पैदा कर रखा था. अतीक के पीछे ये वही डरा-सहमा जनमानस था जो उसका वोटर था. आज अतीक नहीं है, लेकिन उसके कुनबे को लगता है कि अतीक के ही अतीत से बचना है तो अतीक के खौफ की दुनिया को जिंदा बचाकर रखना होगा.


अतीक की कब्र से 'सियासी बेल'


अतीक के बेटे अली अहमद का ये खुला पत्र इन दिनों सुर्खियों में आ गया है. अली नैनी सेंट्रल जेल में बंद है, लेकिन यूपी के निकाय चुनावों में धमक दिखाने के लिए उसने अपील की शक्ल में कथित रूप से चुनावी फतवा जारी कर दिया है. कथित लेटर में लिखा है कि अस्सालमु अलैकुम! मैं अली अहमद मरहूम अतीक अहमद के लड़के आप लोगों से गुजारिश करता हूं कि मेरे बुजुर्गों, मेरे भाई, मेरी मां, बहन आप लोग देख रहे हैं कि कैसे मेरे वालिद, मेरे चाचा अशरफ और मेरे भाई असद का एनकाउंटर दिया गया. और अब हमको भी मारने की कोशिश की जा रही है.


मुसलमानों से की ये अपील


अली के कथित लेटर में ये भी लिखा है कि आप भाइयों से विनती कर रहा हूं जितना हाथ भाजपा योगी आदित्यनाथ का उतना ही समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव का है. मैं आप लोगों से गुजारिश करता हूं कि आप मुसलमान भाई एक हो जाएं. आप लोग भाजपा और समाजवादी पार्टी को वोट न दें. मेरी वालिदा का एनकाउंटर करने में पुलिस लगी हुई है. इतना इशारा आप लोगों के लिए काफी है अब हम मुसलमान किसी के बहकावे में नहीं आएंगे.आप लोगों से अपेक्षा करता हूं कि आप लोग मेरा साथ दीजिए. खुदा हाफिज!


इस खुले खत या यूं कहें कि चेतावनी के जरिए अली अहमद, शाइस्ता और अपने तीन भाइयों के लिए मुसलमानों के एक हिस्से के बीच भावनाओं का ज्वार पैदा करना चाहता है. बता दें कि ज़ी मीडिया इस लेटर की पुष्टि नहीं करता है, लेकिन निकाय चुनाव से पहले अतीक का कुनबा एक बड़ा सियासी दांव चलने की फिराक में है. पुलिस की गिरफ्त से शाइस्ता का अब तक बाहर रहना इस बात की भी तस्दीक करता है कि बचने की सूरत बनाने के लिए उसके सियासत ही आखिरी रास्ता बचा है. शाइस्ता इन दिनों मायावती की बहुजन समाज पार्टी में है, लेकिन उमेश पाल हत्याकांड में तमाम आरोपों के बावजूद उसे पार्टी से निकाला नहीं गया है.


ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले ताज़ा ख़बर अभी पढ़ें सिर्फ़ Zee News Hindi पर| आज की ताजा ख़बर, लाइव न्यूज अपडेट, सबसे ज़्यादा पढ़ी जाने वाली सबसे भरोसेमंद हिंदी न्यूज़ वेबसाइट Zee News हिंदी|