ओडिशा ट्रेन हादसे को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश, पुलिस ने जारी की चेतावनी, होगा एक्शन
Odisha train accident: ओडिशा पुलिस ने रविवार को कहा कि कुछ सोशल मीडिया अकाउंट बालासोर जिले में भीषण ट्रेन दुर्घटना को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं. झूठी और दुर्भावनापूर्ण पोस्ट के जरिए समुदायों को भड़काने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है.
Odisha train accident: ओडिशा पुलिस ने रविवार को कहा कि कुछ सोशल मीडिया अकाउंट बालासोर जिले में भीषण ट्रेन दुर्घटना को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं. झूठी और दुर्भावनापूर्ण पोस्ट के जरिए समुदायों को भड़काने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है. इस घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पुलिस ने कहा कि इस दर्दनाक हादसे को सोशल मीडिया अकाउंट्स द्वारा दुर्भावनापूर्ण तरीके से सांप्रदायिक रंग दिया गया.
ओडिशा पुलिस ने एक बयान में कहा, “यह देखने में आया है कि कुछ सोशल मीडिया हैंडल शरारती तरीके से बालासोर में हुए दुखद ट्रेन हादसे को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.” पुलिस ने सभी से दुर्घटना के बारे में इस तरह के "भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण पोस्ट" साझा करने से बचने का अनुरोध किया.
पुलिस ने कहा कि हम सभी संबंधितों से अपील करते हैं कि वे इस तरह के झूठे और दुर्भावनापूर्ण पोस्ट को प्रसारित करने से बचें. अफवाह फैलाकर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
ओडिशा ट्रेन दुर्घटना मामले की जांच अपने हाथ मे लेगी सीबीआई
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) बालासोर ट्रेन हादसे की जांच अपने हाथ में लेगी, जिसमें कम से कम 275 लोगों की मौत हो गई और करीब 1,100 यात्री घायल हुए हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. प्रक्रिया के अनुसार, केंद्रीय एजेंसी ओडिशा पुलिस द्वारा तीन जून को दर्ज बालासोर जीआरपी केस नंबर-64 को अपने हाथ में लेगी. यह मामला ट्रेन हादसे के एक दिन बाद दर्ज किया गया था.
यह मामला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 337, 338, 304ए (लापरवाही से मौत) और 34 (सामान्य मंशा) और धारा 153 (रेलवे यात्रियों के जीवन को खतरे में डालने वाली गैरकानूनी और लापरवाही भरी कार्रवाई) और रेलवे अधिनियम 154 और 175 (जीवन को खतरे में डालना) के तहत दर्ज किया गया था. इसे दिल्ली मुख्यालय में विशेष अपराध इकाई को आवंटित किए जाने की संभावना है.
प्रक्रिया के अनुसार, सीबीआई स्थानीय पुलिस की प्राथमिकी को अपने मामले के रूप में फिर से दर्ज करके जांच शुरू करती है. सीबीआई अपनी जांच पूरी होने के बाद दाखिल आरोपपत्र में प्राथमिकी से आरोप जोड़ या हटा सकती है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)