Temple on Glacier: देवी सपने में आई थीं... स्वयंभू बाबा ने ग्लेशियर पर पवित्र कुंड को बना दिया स्विमिंग पूल
Sunderdhunga Glacier: उत्तराखंड से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक स्वयंभू बाबा ने सरकारी जमीन पर मंदिर का निर्माण करा दिया. ग्लेशियर पर बना यह मंदिर 16500 फीट की ऊंचाई पर है. जैसे ही खबर आई राज्य सरकार में हड़कंप मच गया है. बाबा ने आसपास के लोगों से दावा किया था कि देवी भगवती ने उन्हें सपने में आकर मंदिर बनाने का आदेश दिया था.
Bageshwar Glacier News: एक स्वयंभू बाबा ने सुंदरढुंगा ग्लेशियर पर गुपचुप तरीके से मंदिर बना लिया है. मामला उत्तराखंड के बागेश्वर का है. 5,000 मीटर (करीब 16500 फीट) की ऊंचाई पर सरकारी जमीन पर यह अनधिकृत तरीके से मंदिर बनाया गया है. बाबा योगी चैतन्य आकाश ने दावा किया है कि उन्होंने दैवीय शक्ति के आदेश पर पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील जगह पर मंदिर का निर्माण कराया.
बाबा ने गांववालों को सपना बताया
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक एक ग्रामीण ने बताया कि गांववालों ने बाबा का सहयोग किया. दरअसल, बाबा ने उनसे कहा था कि देवी भगवती उनके सपने में आई थीं और उन्हें देवी कुंड में मंदिर बनाने का निर्देश दिया है. तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों के पवित्र स्थान 'कुंड' को व्यावहारिक रूप से बाबा ने स्विमिंग पूल में बदल दिया. इस पर स्थानीय लोग काफी नाराज हैं.
कुंड को स्विमिंग पूल बनाकर नहाना शुरू
लोग बताते हैं कि बाबा को अक्सर वहां नहाते हुए देखा जा सकता है. स्थानीय निवासी महेंद्र सिंह धामी ने कहा कि यह अपवित्रता है और इसमें कोई संदेह नहीं है. स्थानीय प्रकाश कुमार ने कहा, 'यह ईश्वर का अपमान है. सदियों से हमारे देवता हर 12 साल में नंद राज यात्रा के दौरान कुंड पर आते रहे हैं. अब इस तथाकथित बाबा ने ग्रामीणों को गुमराह किया और हमारी परंपराओं के खिलाफ इस मंदिर की स्थापना की.'
स्थानीय प्रशासन ने पहले आंखें मूंद रखी थीं लेकिन अब वह जाग गया है और अनधिकृत निर्माण की जांच शुरू हो गई है. अधिकारियों ने बताया है कि वन विभाग, पुलिस और राजस्व कार्यालय की एक टीम जल्द ही अतिक्रमण हटाने और योगी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए देवी कुंड का दौरा करेगी.
ग्लेशियर रेंज के रेंजर एन. डी. पांडे ने कहा, 'हमें इसके (मंदिर के निर्माण) बारे में जानकारी मिली है. घटनास्थल पर स्थिति का आकलन करने के लिए एक टीम भेजी जा रही है. निर्माण ने इंटेलिजेंस विफलताओं पर भी ध्यान केंद्रित किया है, खासकर तब जब राज्य संवेदनशील क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण विरोधी अभियान चला रहा है.'