नई दिल्ली: भारत के संविधान में देश के हर नागरिक की जान को समान महत्व दिया गया है. जब किसी नागरिक की हत्या होती है, चाहे वो किसी भी धर्म का हो, या किसी भी जाति का हो, तब एक जैसी धाराएं लगती हैं और एक जैसी सजा दी जाती है. सबके लिए कानून एक जैसा है.


हिजाब का विरोध करने वाले की हत्या


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इस देश में बजरंग दल के कार्यकर्ता को भी वही अधिकार हासिल हैं, जो PFI के कार्यकर्ता को हैं. इस देश के स्कूलों में हिजाब पहनने के पक्ष में या इसके विरोध में आवाज उठाने को भी अभिव्यक्ति की आजादी माना गया है. तो फिर ऐसा क्यों है कि जब बजरंग दल के कार्यकर्ता की हत्या होती है तो सन्नाटा छा जाता है. जब PFI के कार्यकर्ता की हत्या होती है तो इसे लोकतंत्र की हत्या माना जाता है.


कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब का विरोध करने वाले 23 साल के एक युवा की रविवार को निर्मम हत्या कर दी गई. ये एक मॉब लिंचिंग थी. लेकिन इस मॉब लिंचिंग को उतना निर्मम नहीं माना जा रहा, जितना अखलाक की मौत को माना गया था. इसका कारण ये है कि भारत में भी मॉब लिंचिंग को गुड मॉब लिंचिग और बैड मॉब लिंचिंग की श्रेणी में रख दिया गया है.


युवक को मिल रही थीं धमकियां


कर्नाटक में जिस युवा की मॉब लिंचिग में हत्या कर दी गई, उसका नाम हर्षा है और उसकी उम्र 23 वर्ष थी. इसके अलावा वो बजरंग दल के साथ पिछले काफी समय से जुड़ा हुआ था और कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पहनने के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों में लगातार हिस्सा भी ले रहा था. हमें पता चला है कि इसकी वजह से उसे लगातार जान से मारने की धमकियां भी मिल रही थीं.


ये पूरी घटना कर्नाटक के शिवमोगा में 20 फरवरी को रात करीब 9 बजे हुई. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक हत्या करने वाले लोगों की संख्या चार से पांच के बीच थी. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी कुछ लोगों ने आरोपियों की वहां से भागने में मदद की और इस दौरान वहां धार्मिक नारे भी लगाए गए. हालांकि जांच अभी शुरुआती चरण में है, इसलिए पुलिस कुछ भी पुख्ता तौर पर नहीं बता रही है, लेकिन हमें घटना के बाद के कुछ Videos मिले हैं, जिनमें हर्षा नाम के इस लड़के का शव खून में लथपथ दिख रहा है और जो लोग वीडियो बना रहे हैं. वो इस लड़के का नाम लेते हुए दिख रहे हैं. यानी ये लोग, इस लड़के को जानते थे.


शिवमोगा जिले में तनाव का माहौल


इस वीडियो के आधार पर दो बातें कहीं जा रही हैं. पहली ये कि, आरोपियों ने जान बूझकर पीड़ित को उसके घर के पास घेर कर उसकी हत्या की, ताकि इलाके के लोगों को भी वो कड़ा संदेश दे सकें और दूसरी बात ये है कि, जिस इलाके में ये लड़का रहता था, वहां काफी स्कूल और कॉलेज हैं, जहां हिजाब की मांग को लेकर मुस्लिम छात्राओं और संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं, इसलिए हो सकता है कि ये लोग इस घटना से स्कूल-कॉलेजों में और तनाव पैदा करना चाहते हों.


इस घटना के बाद से शिवमोगा में काफी तनावपूर्ण हालात हैं. पिछले 24 घंटे में वहां तोड़फोड़ और आगजनी की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें लोगों के घरों, दुकानों और गाड़ियों को भी निशाना बनाया गया है. स्थिति को देखते हुए पूरे शहर में धारा-144 लागू कर दी गई है और इस जिले में दो दिन के लिए स्कूल-कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं. सोचिए, जब परीक्षा का समय है, तब इस तरह का साम्प्रदायिक जहर घोल कर शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त किया जा रहा है.


हिजाब विवाद से हत्या का लिंक?


इस हत्या के पीछे कर्नाटक के हिजाब विवाद को बड़ी वजह माना जा रहा है. दरअसल, ऐसा कहा जा रहा है कि इस लड़के द्वारा कुछ दिन पहले फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी गई थी, जिसमें उसने स्कूलों में हिजाब पहनने की मांग का विरोध किया था और ये भी ऐलान किया था कि अगर सरकार और स्कूल प्रबंधन इसकी मंजूरी देता है तो फिर इन स्कूलों में पढ़ने वाले हिन्दू छात्र भी भगवा गमछा पहन कर प्रदर्शन करेंगे.


हमें इस लड़के की कुछ तस्वीर भी मिली हैं, जिनसे पता चलता है कि ये लड़का, हिजाब की मांग के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहा था और इसकी जानकारी लगातार अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी शेयर कर रहा था. 7 फरवरी को भी इसने शिवमोगा के एक इंटर कॉलेज के बाहर प्रदर्शन किया था, जहां आरोप है कि मुस्लिम छात्राओं द्वारा अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए गए थे और हिजाब पहन कर Classes अटेंड करने की मांग की गई थी. फिलहाल पुलिस ने इस हत्या के पीछे की कोई वजह नहीं बताई है. लेकिन परिवारवालों का आरोप है कि इस लड़के की हत्या इसलिए की गई, क्योंकि वो एक हिन्दू था और स्कूलों में हिजाब की मांग के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहा था.


जहर घोलने के लिए मॉब लिंचिंग


हत्या की ये पूरी घटना, हिजाब विवाद के इर्द-गिर्द ही सीमित है. इसे समझने के लिए पहले आपको ये नक्शा देखना होगा. अभी कर्नाटक के जिन चार जिलों में सबसे ज्यादा तनाव है, उनमें, उडुपि, शिमोगा, कोडगु और मंगलूरू प्रमुख हैं. इन जिलों में जो स्कूल और इंटर कॉलेज हैं, वहां लगातार हिजाब की मांग को लेकर मुस्लिम छात्राओं द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इन स्कूलों में पढ़ने वाले हिन्दू छात्र भी भगवा गमछा पहन कर इसका विरोध कर रहे हैं. आपको पता चलेगा कि शिवमोगा, उडुपि का पड़ोसी जिला है और हो सकता है कि इसी वजह से यहां धार्मिक जहर घोलने के लिए इस लड़के की मॉब लिंचिंग की गई.


इस मामले में कर्नाटक के पंचायती राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि हर्षा की हत्या एक विशेष धर्म के गुंडों ने की है. जबकि कर्नाटक के मुख्यमंत्री, बसवराज बोम्मई ने भी भरोसा दिया है कि सरकार सभी आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लेगी. पुलिस ने बताया है कि उसने नदीम और कासिम नाम के दो लोगों को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है.


गुड और बेड मॉब लिंचिंग क्यों?


ये विडम्बना ही है कि इस मामले में अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने वाले हमारे देश के बुद्धिजीवी, एक खास विचाराधारा के लोग और पत्रकार पूरी तरह खामोश हैं. क्योंकि शायद उनके लिए ये हत्या, उतनी निर्मम नहीं, जितना निर्मम अखलाक की थी. शायद उन्हें ये गुड मॉब लिंचिंग लगती है. 


एक तस्वीर, मुस्कान नाम की उस लड़की की है, जो कर्नाटक के मांड्या जिले में हिजाब पहन कर कॉलेज में पढ़ना चाहती थी और जब कॉलेज के ही कुछ हिन्दू छात्रों द्वारा उसका विरोध किया गया तो उसने अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए थे. इस मुस्लिम छात्रा को हमारे देश के कुछ लोगों ने बहादुर बताते हुए इसे कैश प्राइज दिया और इसकी बहादुरी के लिए इसे सम्मानित किया. लेकिन इस मामले में, जिस लड़के द्वारा हिजाब का विरोध किया जा रहा था, उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई. लेकिन अब ये लोग इस पर पूरी तरह चुप हैं. सोचिए, हिजाब के समर्थन में अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाने वाली मुस्लिम छात्रा बहादुर है. लेकिन जो युवा हिजाब का विरोध करता है, उसकी हत्या कर दी जाती है.