नागपुर : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह (महासचिव) का चुनाव हर तीन साल में होता है. भैयाजी जोशी लगातार तीन बार से सरकार्यवाह की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. शनिवार को हुए चुनावों में भैयाजी जोशी को चौथी बार भी सरकार्यवाह चुना गया. चुनाव से पहले दत्तात्रेय होसबोले को सरकार्यवाह बनाए जाने की चर्चा चल रही थी, लेकिन चुनाव के दौरान भैयाजी जोशी के सामने किसी ने दावा पेश नहीं किया.


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अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में हुआ चुनाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दूसरे दिन वर्ष 2009 से आरएसएस का महासचिव पद संभाल रहे भैयाजी जोशी को शनिवार को तीन साल का एक और कार्यकाल सौंपा गया. आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने बताया कि सह कार्यवाह का चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ और सुरेश भैयाजी जोशी को एक और कार्यकाल के लिए पुन: निर्वाचित किया गया. इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई बड़े नेता भी मौजूद थे.


वह संघ की तीन साल में एक बार होने वाली एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद बोल रहे थे. जोशी अब 2021 तक यह पद संभालेंगे. बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार, किसी अन्य नाम का प्रस्ताव सामने नहीं आया. संघ के महासचिव इसके कार्यकारी प्रमुख होते हैं जो संगठन के रोजाना के कार्यों की देखरेख करते हैं.


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सरकार्यवाह
आरएसएस के संविधान के मुताबिक सरकार्यवाह का चयन तीन साल के लिए होता है. आमतौर पर यह होता है कि सरकार्यवाह के डिप्‍टी यानी तीन सह-सरकार्यवाह में से किसी एक को इस पद के लिए प्रमोट किया जाता है. इस वक्‍त सुरेश सोनी, डॉ. कृष्‍ण गोपाल और दत्‍तात्रेय होसाबले सह-सरकार्यवाह हैं. 


सरकार्यवाह का चयन
संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) यह चुनाव करती है. यह संघ की सर्वोच्‍च निर्णायक बॉडी है. इसमें करीब 1300 सदस्य होते हैं. करीब 50 सक्रिय स्‍वयंसेवकों का प्रतिनिधि एक प्रांतीय प्रतिनिधि होता है. हर अखिल भारतीय प्रतिनिधि तकरीबन 20 प्रांतीय प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्‍व करता है. अखिल भारतीय प्रतिनिधियों के अलावा संघ के अन्‍य संगठनों से जुड़े डेलीगेट इसमें होते हैं. 


विश्‍व हिंदू परिषद (वीएचपी) के सर्वाधिक करीब 40 डेलीगेट होते हैं. पूर्व प्रांत प्रचारकों को भी इसमें आमंत्रित किया जाता है. बीजेपी की तरफ से आमतौर पर इसमें राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और जनरल सेक्रेट्री (संगठन) शिरकत करते हैं. चुनाव के लिए संघ के वरिष्‍ठ सदस्‍यों में से किसी को चुनाव अधिकारी नियुक्‍त किया जाता है. यह अधिकारी चुनावी प्रक्रिया के बारे में बताता है. उसके बाद वरिष्‍ठ पदाधिकारी नए सरकार्यवाह का नाम प्रस्‍तावित करता है. आमतौर पर इस नाम को स्‍वीकार कर लिया जाता है और इस प्रकार नए सरकार्यवाह का चुनाव हो जाता है. यानी संघ के वरिष्‍ठ नेताओं की आम सहमति से नए सरकार्यवाह का चयन होता है.