बगहाः इंडो-नेपाल बॉर्डर स्थित गंडक बराज से नदी में लगातार पानी छोड़े जाने से जलस्तर बढ़ने की संभावना है. सोमवार को गंडक बराज से नदी में 1 लाख 10 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया. जिस वजह से गंडक नदी ऊफान पर है. इधर लगातार हो रही वर्षा और मौसम विभाग के अलर्ट के बाद वाल्मीकिनगर से लेकर मंगलपुर अवसानी समेत कैलाशनगर नारायणापुर घाट और दिनदयाल नगर से लेकर पीपी तटबंध ठकराहा तक जलसंसाधन विभाग और प्रशासन अलर्ट पर है. 


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24 घंटे प्रशासन और अभियंताओं के साथ होम गार्ड जवान कड़ी निगरानी में जुटे हैं. आपदा की घड़ी में निपटने कि पूरी तैयारी है सबसे ख़तरनाक और गंभीर स्थल मंगलपुर अवसानी को चिन्हित किया गया था जहां फ्लड फाइटिंग कार्य पूरा कर निगरानी में अधिकारी आगे लॉन्चिंग या रैन कट समेत कटाव जैसे हालात से निपटने को लेकर डेढ़ लाख बोरियों की पैकिंग कर तैयार हैं.


नेपाल और यूपी सीमा पर स्थित बिहार के 11 जिलों में पश्चिमी चंपारण जिला भी इन दिनों बाढ़ की स्थिति से जूझ रहा है. लगभग सभी नदियां ऊफान पर हैं ऐसे में गण्डक नदी में बढ़ते जलस्तर के मद्देनजर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है. कटाव से प्रभावित होने वाले संवेदनशील स्थानों पर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है. वहीं, कुछ अति संवेदनशील स्थानों पर पैकेट स्टैकिंग का कार्य चल रहा है. फ़िलहाल गण्डक नदी का वाटर लेवल थोड़ा घटा है जिससे अब बाढ़ के बाद कटाव की स्थिति बन सकती है. क्योंकि गंडक नदी अपने स्वभाव से जब जलस्तर बढ़ गया तो बाढ़ और घटा तो कटाव जैसे तांडव मचाती है.


इसकी निगरानी में एसडीओ, सीओ और अभियंता मुसतैद हैं. ख़ुद मुख्य अभियंता और बाढ़ विशेषज्ञ की टीम ने पीपी तटबंध के जीएच प्रभाग में दरार के बाद लापरवाही पर इलाक़े का दौरा किया है और निर्देश दिया गया है कि हर घंटे हालात का अपडेट किया जाए.


जल संसाधन विभाग के अधिकारियों और अभियंता एस के प्रभाकर का कहना है कि यदि वाटर लेवल खतरे के निशान से ऊपर जाता है तो हाई अलर्ट घोषित कर दिया जाएगा. अभियंता प्रभाकर ने बताया कि आपदा की घड़ी में इन चुनौतियों से निपटने के लिए जल संसाधन विभाग और प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है.