नई दिल्लीः बिहार में बेकाबू 'चमकी' बुखार यानि एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कहर से बच्चों को बचाने और तत्काल विशेषज्ञों की मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज (सोमवार) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई.  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, बिहार और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब मांगा है. इस मामले में अब दस दिन बाद सुनवाई की जाएगी.


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जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की अवकाशकालीन पीठ वकील मनोहर प्रताप की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की गई. दररअसल, याचिका में 'चमकी' बुखार को लेकर बिहार सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार को विशेषज्ञों की एक मेडिकल बोर्ड गठित कर उसे तत्काल बिहार के मुजफ्फरपुर व अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भेजने का निर्देश देने की मांग की गई है. 


इसके अलावा केंद्र और बिहार सरकार को 500 आइसीयू ऐसे 100 मोबाइल आइसीयू भेजने का निर्देश देने को भी कहा गया है, जो कि विशेषज्ञों से लैस हों. जिससे दूर दराज के इलाकों में प्रभावितों को इलाज मुहैया कराया जा सके. साथ ही बिहार सरकार को विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रख एक आदेश जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई है. जिसमें प्रभावित क्षेत्रों के निजी अस्पतालों को मुफ्त में इलाज करने को कहा जाए.


याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकारों को निर्देश दिया जाए कि वह इस बीमारी से बचाव और जागरूकता के लिए पर्याप्त प्रचार करें. इसके अलावा जिनके बच्चों की इस बीमारी से मौत हुई है, उनके परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की गई है.


आपको बता दें कि बिहार में चमकी बुखार से अब तक 168 बच्चों की मौत हो चुकी है. मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में अब तक 110 बच्चे तो केजरीवाल अस्पताल में 20 बच्चों की मौत हुई है. वहीं, वैशाली में 19, समस्तीपुर में 5, मोतिहारी में 02, पटना में 02, बेगूसराय में 06, बेतिया में 02 और भागलपुर-गोपालगंज में एक-एक बच्चे की मौत हुई है.