Madhepura: बिहार के मधेपुरा में आठ सौ करोड़ की लागत से बना जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज (Karpuri Thakur Medical College)अस्पताल इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आलम यह है कि इतने बड़े अस्पताल में एम्बुलेंस की भी सुविधा नहीं है. जुगाड़ टेक्नोलोजी के तहत ई रिक्शा एम्बुलेंस बना हुआ है. 


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यहां गंभीर मरीज हों या सड़क दुर्घटना के शिकार मरीजों को ई-रिक्शा एम्बुलेंस का सहारा लेना पड़ता है. इस कारण कई ऐसे मरीजों का दम रास्ते में हीं टूट जाता है. हद की इंतेहा तो यह भी है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जीआर (JR) के कुल 74 चिकित्सकों की पद सृजित है लेकिन ओपीडी (OPD) हो या इमरजेंसी वार्ड (Emergency Ward) मात्र 09 जूनियर चिकित्सकों के सहारे अस्पताल में मरीज देखे जाते हैं.


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यहां चिकित्सकों को लगातार 24 घंटे ड्यूटी बजानी पड़ती है. इतना ही नहीं इन चिकित्सकों को पिछले कई माह से वेतन तक नहीं मिला है, लेकिन सिस्टम के दहशत में जी रहे चिकित्सक कैमरे पर कुछ भी बोलना मुनासिब नहीं समझ पा रहे हैं. 


हालांकि, आवंटन और वेतन भुगतान के नाम पर अस्पताल में रिश्वत का बड़ा खेल चल रहा है. वहीं, अस्पताल उद्घाटन के दौरान बिहार के मुखिया नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कोसी और मधेपुरा के लोगों को आश्वस्त किया था कि अब कोसीवासियों को इलाज के लिए नहीं जाना पड़ेगा. मधेपुरा में ही हर तरह का इलाज होगा. मधेपुरा जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल सभी आधुनिक सिस्टम से लैस है, लेकिन इतने बड़े अस्पताल में लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस और आईसीयू की उचित व्यवस्था नहीं है.


अस्पताल में आईसीयू और लाइफ सपोट एम्बुलेंस (Life Support Ambulance)तक की भी व्यवस्था नहीं है. आलम यह है कि जुगाड़ टेक्नोलॉजी (Jugad Technology) के तहत ई-रिक्शा एम्बुलेंस (E-Ricksaw Ambulance) के सहारे गंभीर से गंभीर मरीजों को आना पड़ता है.


अब देखना दिलचस्प होगा आखिर इस दिशा में कब तक बिहार सरकार के द्वारा सफल इंतजाम किया जाएगा और ऐलान के बाद भी कब तक 800 करोड़ की लागत से बने इस मधेपुरा मेडिकल कॉलेज का जीर्णोद्धार होगा. 
इनपुट:- शंकर कुमार