पटना: एईएस के मुद्दे पर नीतीश सरकार को गद्दी से हटाने को लेकर आरजेडी दो भागों में बंट गयी है. आरजेडी का एक खेमा जहां नीतीश सरकार की बर्खास्तगी की मांग कर रहा है. वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी ने साफ किया है कि वो नीतीश सरकार से इस्तीफा नहीं मांगेंगे. हलांकि सिद्दिकी ने ये भी स्पष्ट किया है कि जनहित से जुडे सवाल पर वो सरकार की आरती नहीं उतारेंगे. लेकिन अब वो सरकार से इस्तीफा नहीं मांगेंगे. ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर नीतीश सरकार को लेकर आरजेडी में दो राय क्यों.


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एईएस के मुद्दे पर सवालों से जूझते नीतीश कुमार के लिए एक राहत भरी खबर है. एईएस के मुद्दे पर नीतीश सरकार को पद से हटाने को लेकर आरजेडी दो गुटों में बंट गयी है. आरजेडी का एक गुट नीतीश सरकार की बर्खास्तगी की मांग कर रहा है तो दूसरा गुट ये कह रहा है कि हम नीतीश सरकार से इस्तीफा नहीं मांगेंगे. दरअसल पार्टी को एईएस का मुद्दा सरकार को घेरने के लिए बैठे बिठाये मिल गया है. 


आरजेडी ने तय किया है कि एईएस , लॉ एण्ड आर्डर समेत कई मुद्दों पर पार्टी विधानमंडल के मौनसून सत्र में सरकार को घेरेगी. चलते सत्र के ही दौरान पार्टी के विधायक राजभवन मार्च करेंगे और राज्यपाल को ज्ञापन सौंप कर नीतीश सरकार की बर्खास्तगी की मांग करेंगे. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामचन्द्र पूर्वे ने इसकी पुष्टी भी कर दी है.


लेकिन वहीं दूसरी तरफ पार्टी के सीनियर लीडर विधायक अब्दुलबारी सिद्दीकी की मामले पर राय कुछ और ही है. सिद्दीकी ने साफ तौर पर कहा है कि वो सरकार से इस्तीफा नहीं मांगेगे. जनता ने अभी हाल ही सरकार को बहुमत दिया है ऐसे में अब जनता ही जाने उसे क्या करना है.


जी मीडिया से मामले पर बातचीत के क्रम में सिद्दिकी ने कहा  है कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी से उनके व्यक्तिगत अच्छे संबंध हैं. वो उनकी इज्जत भी करते हैं लेकिन इसका मतलब नहीं कि विपक्ष उनकी आरती करेगा. जनहित से जुडे सवाल पर वो उनका विरोध जरुर करेंगे.


इधर अब्दुलबारी सिद्दीकी के विचारों के बाद आरजेडी में शुरु हुए दो धारे को लेकर रुलिंग पार्टी थोडी राहत महसूस कर रही है. बीजेपी ने अब्दुल बारी सिद्दी को बडी नसीहत दे दी है. पार्टी के सीनियर विधायक संजय सरावगी ने कहा है कि विपक्ष में भी अच्छे नेता हैं. जिन्हें अपने अच्छे भविष्य को लेकर दूसरे दलों में जगह तलाश करनी चाहिए. क्योंकि आरजेडी अब बिखराव के रास्ते पर है और पार्टी का खुद का जनाधार भी अब खत्म हो चुका है. ऐसे में नीतीश सरकार को गद्दी से हटाने को लेकर आरजेडी में बिखराव कहीं नये सियासी समीकरण के संकेत तो नहीं दे रहे.