पटना: बिहार में सफाईकर्मियों की हड़ताल के बाद अब शिक्षक काम ठप कर बैठने वाले हैं. सफाईकर्मियों के 6 दिनों के हड़ताल पर शहर कूड़े-कचरे के ढेर से पट गया था. इस बार शिक्षकों के हड़ताल से लाखों की संख्या में छात्रों का भविष्य अधर में आ लटका है. शायद यहीं कारण है कि नीतीश सरकार 17 फरवरी से हड़ताल पर बैठने वाले शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की तैयारी में है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वहीं शिक्षक संघ भी अपनी मांगों और विरोध प्रदर्शन को लेकर अडिग बने हुए हैं.


दरअसल, पूरा मामला यह है कि बिहार में पिछले दिनों शिक्षकों और नीतीश सरकार के बीच रंजिश तब पनप गई है जब शिक्षकों ने 17 फरवरी से राज्यभर में वेतन भुगतान और स्थायीकरण को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी. संयोगवश कहें या शिक्षकों की सोची समझी रणनीति, 17 फरवरी को बिहार मैट्रिक परीक्षा की शुरुआत हो रही है.


17 फरवरी से लेकर 24 फरवरी तक राज्यभर के 13 लाख से भी ज्यादा परीक्षार्थी या यूं कहें कि छात्रों के भविष्य पर प्रश्न चिह्न लग जाने का खतरा है. शिक्षकों ने ड्यूटी पर जाने से मना कर दिया है, वहीं सरकार ने जिलाध्यक्षों और अधिकारियों को यह खुली छूट दे दी है कि जो शिक्षक अपनी ड्यूटी को नहीं निभाते, उन्हें नौकरी से चलता करें.


इधर, 17 फरवरी को मैट्रिक परीक्षा देने जा रहे छात्रों को पहले दिन विज्ञान के प्रश्नों से जूझना है. वहीं 18 फरवरी को गणित तो 19 को समाजिक अध्ययन का पेपर है. इसके बाद अन्य लिट्रेचर की परीक्षा है. ऐसे में उन्हें यह डर सता रहा होगा कि इस हड़ताल की वजह से उनकी परीक्षा प्रभावित न हो जाए. 


हालांकि, अगर किसी तरह छात्रों ने मैट्रिक परीक्षा दे भी दिया तो उनके कॉपी चेक करने को लेकर भी बड़ी मुसीबत है. शिक्षकों ने यह साफ कर दिया है कि सरकार जब तक समाधान नहीं निकालती तब तक वे अपनी ड्यूट नहीं बजाएंगे. ऐसे में छात्रों के कॉपी जांच की समस्या भी बनी रहेगी. 


उधर, शिक्षकों के अनिश्चितकालीन हड़ताल को लेकर सियासत शुरू हो गई है. विपक्ष जहां इनके मांगों को जायज ठहरा कर उनका समर्थन कर रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार ने सभी पदाधिकारियों को सख्त कार्रवाई के निर्देश दे दिए हैं. ऐसे में कल से शुरू होने वाली परीक्षा पर क्या असर पड़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा.