बेगूसराय: Begusarai Lok Sabha Election 2024: बिहार के बेगूसराय लोकसभा चुनाव को देखते हुए गुप्ता लखमीनिया बांध पर विस्थापित करीब साढ़े 3 सौ परिवारों ने वोट का बहिष्कार किया है. बांध किनारे बसे कटाव से विस्थापित परिवारों का आरोप है. साल 1992 में मटिहानी प्रखंड के बालहपुर गांव से कटाव से विस्थापित होकर सोनापुर से दरियापुर तक गुप्ता लखमीनिया बांध पर 2 किलोमीटर में बसा हुआ है. 


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लोगों का आरोप है कि कई चुनाव में चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव हो. पंचायत का चुनाव हर चुनाव में नेता वोट लेकर चले जाते हैं. लेकिन उनके पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं होती है. बांध पर रहने से इन्हें रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सुबह से लेकर रात तक भारी वाहनों के परिचालन से हमेशा जान पर खतरा बन बना रहता है.


कई बार हादसे में लोगों की मौत भी हो जाती है. लेकिन कटाव से विस्थापित परिवार मजबूरी में बांध पर रहने को विवश हैं. इतना ही नहीं परिवारों का आरोप है जवान लड़के लड़कियां की शादी नहीं होती है कि बांध किनारे लोग शादी करना पसंद नहीं करते हैं. हर समय मौत का खतरा बना रहता है. जिस घर में शरण लिए हुए हैं ऊपर से वृक्ष की टुकड़े गिरने का भय बना रहता है. 


इस लोकसभा चुनाव में कटाव से विस्थापित परिवार ने पुनर्वास की मांग को लेकर वोट बहिष्कार का सामूहिक निर्णय लिया है और गुप्ता लख्मीनिया बांध पर जगह-जगह वोट बहिष्कार का बैनर लगा दिया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि हर चुनाव में नेता आते हैं, वादा करते हैं कि इस बार पुनर्वास कर देंगे. लेकिन हर बार वह वादा झूठा निकलता है. इसलिए इस बार लोगों ने वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है कि जब तक इन परिवारों को ठोस आश्वासन पुनर्वास का नहीं मिलता है और समय सीमा निर्धारित नहीं होती है तब तक यह लोग वोट नहीं डालने का निर्णय लिया है. 


बताया जाता है कि 1992 में भीषण बाढ़ के दौरान बलहपुर मटिहानी प्रखंड के बलहपुर पंचायत के सैकड़ों घर गंगा में विलीन हो गया और उस कटाव से विस्थापित होकर सैकड़ों परिवार गुप्ता लखमीनिया बांध पर बस गए जो आज तक बांध किनारे ही बसे हैं और उनके पुनर्वासित करने की कोई व्यवस्था नहीं की गई. बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ केंद्र में कई बार सत्ता परिवर्तन हुआ लेकिन उनके दुखों का अंत आज तक नहीं हुआ है. 


बताया जाता है कि करीब साढ़े तीन सौ परिवार बांध किनारे बसे हैं जिसमें 14 जातियों के लगभग 1200 मतदाता शामिल है जो इस बार चुनाव में वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है. स्थानीय लोगों ने कहा कि कई बार प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक धरना प्रदर्शन और आमरण अनशन तक किया गया लेकिन आज तक इनको पुनर्वासित करने की कोई योजना नहीं लाई गई और ना ही पुनर्वसित किया गया है इसलिए थक हारकर इस बार लोकतंत्र के महापर्व मतदान का बहिष्कार किया गया है.


इनपुट- राजीव कुमार


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