बेतिया: बेतिया नगर परिषद में भारी गहमागहमी और हंगामे के बाद आखिरकार सभापति के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर अंतिम मुहर लगी और अध्यक्ष गरिमा शिकारिया एक मत से हार गईं. सोमवार को नगर परिषद कार्यालय में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. कार्यपालक पदाधिकारी विजय कुमार उपाध्याय ने बताया कि सभापति के खिलाफ पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था. 


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इस मुद्दे पर चर्चा के बाद वोटिंग हुई. वोटिंग में में 26 पार्षदों ने भाग लिया, जिसमें अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 19 मत पड़े. तीन मत रद्द कर दिया गया जबकि चार मत सभापति के पक्ष में पड़े. 


बता दें कि नगर परिषद के 39 पार्षदों में से दो पार्षदों का निधन हो गया है. सभापति के गुट वाले कई पार्षदों ने मतदान में भाग नहीं लिया. वोटों की गिनती के बाद सभापति की पक्ष की ओर से रिकाउंटिंग का आवेदन कार्यपालक पदाधिकारी को दिया गया. लेकिन उसे नही माना गया


वोटिंग के बाद कार्यपालक पदाधिकारी ने अविश्वास प्रस्ताव पारित होने की घोषणा कर दी. विधि व्यवस्था के लिए आए कई पदाधिकारी भी वापस लौट गए. इसके बाद सभापति के पक्ष के पार्षदों ने कहा की एक वोट गलत है. वोटिंग के पहले स्पष्ट रूप बताया गया है कि अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले पार्षदों को मतपत्र पर क्रॉस का चिह्न लगाना है. 


जबकि एक मतपत्र पत्र पर सही का निशान लगाया गया है. यह मतपत्र सभापति के पक्ष में गिनी जानी चाहिए. इसको लेकर 10 पार्षदों ने हस्ताक्षर कर रिकाउंटिंग के लिए कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र दिया. सभापति के पक्ष के पार्षद रिकाउंटिंग कराने के लिए दबाव बनाने लगे. अभी इस पर मंथन चल ही रहा था कि सभापति के विरोधी खेमे के पार्षद और पार्षद पति कार्यपालक पदाधिकारी के कार्यालय में आकर रिकाउंटिंग के मांग को खारिज करने के लिए हो हंगामा करने लगे. 


उनका कहना था कि चुनाव की सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. प्रोसीडिंग भी लिखा जा चुका है. उपसभापति को कार्यवाहक सभापति के रूप में कार्य करने संबंधी पत्र कार्यपालक पदाधिकारी जारी करें. इसके बाद ही रिकाउंटिंग के आवेदन पर विचार होगा. इसको लेकर कार्यपालक पदाधिकारी के कार्यालय में जमकर हंगामा हुआ. कोई पार्षद, और पार्षद पति व पुत्र हंगामा करने लगे. 


विलंब होने पर कई पार्षद पति कपड़े निकाल नंग धड़ंग हो गए. हंगामे की सूचना पर एसडीएम विद्यानाथ पासवान, नगर थानाध्यक्ष राकेश कुमार भास्कर, महिला थाना अध्यक्ष पूनम कुमारी फिर नगर परिषद पहुंची. काफी मंथन और एसडीएम के नियमों का हवाला देकर समझाने बुझाने के बाद पार्षद शांत हुए. 


बहस और वोटिंग में शामिल नहीं हुई सभापति
अविश्वास प्रस्ताव पर बहस और वोटिंग के दौरान सभापति गरिमा देवी सिकारिया सदन में मौजूद नहीं थी. सभापति के समर्थक कई पार्षद भी वोटिंग में शामिल नहीं हुए.  जबकि कुछ पार्षदों ने मतपत्र को सादा ही छोड़ दिया. 


सभापति के विरोधी खेमे के पार्षदों ने पूरी लामबंदी की थी. अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के लिए उन्हें 19 मतों की जरूरत थी. हालांकि वोटिंग के पहले दोनों खेमा अपनी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहा था. एकमत पर सबकी निगाहें टिकी थी. लेकिन आखिरकार सभापति की कुर्सी गिर गई. 


पार्षद से ज्यादा एक्टिव से पार्षद पति
अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान पार्षदों से ज्यादा कोई महिला पार्षदों के पति व पुत्र एक्टिव थे. कार्यपालक पदाधिकारी के कार्यालय में हो हंगामा के दौरान भी पार्षद पति ही मुखर रहे. पार्षदों के आक्रोश के दौरान कई बार नोकझोंक की भी स्थिति आई. लेकिन अधिकारियों और कुछ पार्षदों के बीच बचाव के कारण स्थिति बिगड़ने से बच गई. 


सुरक्षा के रहे पुख्ता प्रबंध
अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए नगर परिषद ने सुरक्षा का चाक-चौबंद व्यवस्था किया गया था. एसडीएम विद्यानंद पासवान, एएसडीएम, एसडीपीओ मुकुल परिमल पांडेय, नगर थानाध्यक्ष राकेश कुमार भास्कर, महिला थानाध्यक्ष पूनम कुमारी दल बल के साथ नगर परिषद में मौजूद थे. बड़े संख्या में पुलिस जवानों की भी तैनाती की गई थी.