Bhagalpur News: बिहार में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की बानगी एक बार फिर देखने को मिली है. जहां सरकारी अस्पताल के लिए मरीज को एम्बुलेंस नहीं मिली और मरीज को आखिर में ठेले पर ही बिहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया. घटना बिहपुर के बभनगामा गांव की है. बताया जा रहा है कि बभनगामा गांव के निवासी मोहम्मद सफीक का पड़ोसी से विवाद हो गया था. जिसमें वो घायल हो गया था. इस पर परिजनों ने एम्बुलेंस के लिए फोन किया, लेकिन एम्बुलेंस नहीं मिली. जिसके कारण परिजन उन्हें ठेले पर लादकर अस्पताल ले गए.


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वहां घायल युवक का इलाज शुरू हुआ. अब लोग कह रहे हैं कि मरीज ठेले पर नहीं है, बल्कि बिहार का स्वास्थ्य सिस्टम ठेले पर है. सरकारी वादे और दावे ठेले पर हैं. इससे पहले भी ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं. नवादा जिले में शव वाहन उपलब्ध नहीं होने के कारण लोगों को ठेले का सहारा लेना पड़ता था. ज़ी न्यूज़ पर इस खबर को दिखाने के बाद प्रशासन ने संज्ञान लिया और शव वाहन उपलब्ध कराने का वादा किया था. नालंदा जिले से भी ऐसी ही तस्वीर सामने आई थी. यहां सिलाव थाना क्षेत्र इलाके में धर्मेंद्र कुमार और बिहार थाना क्षेत्र के अंबेर मोहल्ले में राइस मिल में बिजली के काम करने के दौरान करंट से संजू साव की मौत हो गई थी. दोनों के शवों को एंबुलेंस नहीं मिल सकी थी.


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दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए बिहार शरीफ सुधार अस्पताल लाया गया था. जहां अस्पताल में मौजूद शव वाहन से धर्मेंद्र कुमार के शव को सिलाव भेज दिया गया. वहीं संजू साव के शव को बिहार शरीफ अस्पताल से पोस्टमार्टम के बाद ठेले पर ही अंबेर मोहल्ले तक लेकर गए थे. इस घटना पर ड्यूटी पर तैनात सरकारी चिकित्सक ने बताया कि सदर अस्पताल में शव वाहन की कमी है, जिसके कारण इस तरह की परेशानियां सामने आ जाती है.


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