मकर संक्रांति को लेकर बाजारों में बढ़ी रौनक, चनपटिया निर्मित मर्चा चूड़ा की मची धूम
मकर संक्रांति पर्व पर दही चूड़ा और तिलकुट समेत खिचड़ी खाने की परंपरा हमेशा से चली आ रही है. बिना दही चूड़ा के मकर संक्रांति का पर्व अधूरा माना जाता है. लिहाजा बगहा में मर्चा चूड़ा की मांग बढ़ गई है. इसी कड़ी में कुछ खास दुकानों पर इस सुगंधित व मीठे चूड़े की खूब बिक्री हो रही है.
बगहा: मकर संक्रांति पर्व पर दही चूड़ा और तिलकुट समेत खिचड़ी खाने की परंपरा हमेशा से चली आ रही है. बिना दही चूड़ा के मकर संक्रांति का पर्व अधूरा माना जाता है. लिहाजा बगहा में मर्चा चूड़ा की मांग बढ़ गई है. इसी कड़ी में कुछ खास दुकानों पर इस सुगंधित व मीठे चूड़े की खूब बिक्री हो रही है. चम्पारण के चनपटिया में निर्मित मर्चा चूड़ा की मकर संक्रांति पर बाज़ारों में धूम मची है .
श्रद्धालुओं में रमेश राम व ग्राहक मुन्ना सिंह का कहना है कि मर्चा चूड़ा काफी सुगंधित और स्वादिष्ट होने के साथ साथ सुपाच्य भी होता है. यहीं कारण है कि मर्चा चूड़ा की मांग औऱ ख़पत मकर संक्रांति को लेकर ख़ास तौर पर की जा रही है और खिचड़ी के पर्व को लेकर भक्त मर्चा चूड़ा को प्राथमिकता व वरीयता दे रहे हैं.
बताया जा रहा है कि बासमती चावल के बाद मरचा धान का चूड़ा चंपारण की शान बन गया है क्योंकि हाल में हीं इसको जी आई टैग मिला है और देश विदेश तक यह प्रसिद्ध हो रहा है. यही वजह है की दही चूड़ा खाना हो तो मर्चा चूड़ा का कोई जवाब नहीं है .
दुकानदार पवन टिबड़ेवाल भी बता रहे हैं कि मकर संक्रांति के हफ्ते भर पूर्व से खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है. प्रतिदिन 90 से 150 पैकेट मर्चा चूड़ा की बिक्री हो रही है. लोग तिलकुट के साथ साथ मर्चा चूड़ा की डिमांड कर रहे हैं .
बता दें की मर्चा चूड़ा का उत्पादन मुख्य रूप से पश्चिमी चंपारण जिला के स्टार्टअप ज़ोन चनपटिया में होता है. यह 120 से 140 रुपया प्रति किलो के दर से बिकता है. बगहा में लोगों के लिए 4 किलो के पैकेट में चूड़ा उपलब्ध है जिसकी कीमत 550 रुपए पैकेट है. चम्पारण से सटे उत्तर प्रदेश के कुशीनगर व देवरिया समेत गोरखपुर तक के खरीददार मर्चा चूड़ा की डिमांड कर रहे हैं.हीं वाल्मिकीनगर से सटे सीमावर्ती नेपाल में भी मर्चा चूड़ा लोगों को खूब भा रहा है. लिहाजा मकर संक्रांति पर मर्चा चूड़ा की मांग औऱ बिक्री जमकर हो रही है और चम्पारण के बाज़ार में कुछ ख़ास दुकानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है.