भागलपुर: भागलपुर के कहलगांव में स्थित प्राचीन विक्रमशिला विश्विद्यालय की खबर दिखाए जाने के बाद एक बार फिर गोड्डा गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में विक्रमशिला के मुद्दे को उठाया. पैतृक गांव विक्रमशिला होने के नाते निशिकांत दुबे ने लोकसभा में विक्रमशिला विश्विद्यालय के गौरव को वापस लौटाने की मांग की है. विक्रमशिला केंद्रीय विश्विद्यालय का अब तक निर्माण नहीं होने का जिम्मेदार उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश को ठहराया है. 


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सांसद ने कहा कि सभी नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में कहते हैं कि ये बहुत बड़ा विश्वविद्यालय है. मेरी नालंदा यूनिवर्सिटी से कोई परेशानी नहीं है लेकिन मेरा यह कहना है कि नालंदा विश्वविद्यालय से बड़ा मेरे गांव का विक्रमशिला विश्वविद्यालय था. वहां जो आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का बोर्ड लगा है वो यह कहता है कि छठी और सातवीं शताब्दी में नालंदा विश्वविद्यालय का कोर्स विक्रमशिला विश्वविद्यालय गाइड करता था. विक्रमशिला विश्वविद्यालय दुनिया की सबसे बड़ा विश्वविद्यालय था. विक्रमशिला विश्विद्यालय ने देश का पहला वाइस चांसलर भगवान आतिश दीपंकर को बनाया.


सांसद ने कहा कि विक्रमशिला विश्वविद्यालय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम पैकेज में 2015 में 400 करोड़ रुपए दिए लेकिन बिहार सरकार ने आजतक पिछले 9 साल से वहां जमीन नहीं दिया. मेरा आग्रह है कि बिहार सरकार के उपर दबाव बने. उन्होंने कहा- जब 1189 में विक्रमशिला विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी जला रहा था तो उसी साल ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी बन रहा था. हमारी सभ्यता संस्कृति और विचार इतने बड़े थे कि पश्चिम देश हमारा मुकाबला नहीं कर सकते इसलिए विक्रमशिला विश्वविद्यालय फिर से बने.


हम आपको बता दें कि आठ नौ साल पूर्व पीएम मोदी ने विक्रमशिला प्राचीन विश्विद्यालय के भग्नावशेष के समीप केंद्रीय विश्विद्यालय के निर्माण की घोषणा की थी जिसके बाद उन्होंने इसके निर्माण के लिये राशि भी आवंटित की राज्य सरकार से जमीन चिन्हित कर प्रस्ताव भेजने को कहा गया था. कई बार केंद्रीय टीम ने भी 4 मौजा के जमीन को देखा था. अंत मे अब मलकपुर मौजा को जमीन चिन्हित किया गया है. जिलाधिकारी ने जमीन का प्रस्ताव भेजा है.