Sharda Sinha: बिहार कोकिला शारदा सिन्हा इस समय वेंटिलेटर पर हैं और संगीत प्रेमी उनके कुशल होने की प्रार्थना कर रहे हैं. 1 अक्टूबर, 1952 को जन्मीं शारदा सिन्हा ने भारतीय लोक और शास्त्रीय संगीत में अपनी पहचान स्थापित की है. शारदा सिन्हा मुख्य रूप से मैथिली और भोजपुरी में गाती हैं और उन्हें बिहार की कोयल के रूप में जाना जाता है. शादियों में बिहार के लगभग हर घर में शारदा सिन्हा के गाये गीत बहुत गाये जाते हैं. बियाह के अलावा शारदा सिन्हा ने छठी मइया पर कई गीत गाए हैं. शारदा सिन्हा लोग संगीत में योगदान के लिए 1991 में पद्म श्री और 2018 में तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित की जा चुकी हैं. 


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बिहार के सुपौल जिले के हुलास में जन्मीं शारदा सिन्हा का ससुराल बेगूसराय के सिहमा गांव में है. मैथिली लोकगीत से उन्होंने करियर की शुरुआत की थी. वे मुख्यत: भोजपुरी, मैथिली, मगही और हिंदी में गाती हैं. प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद की ओर से आयोजित बसंत महोत्सव में शारदा सिन्हा ने वसंत ऋतु की थीम पर कई गाने गाए थे. 


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छठ पूजा महोत्सव के दौरान भी वे आम तौर पर अपनी गायिकी की छटा बिखेरती हैं. मॉरिशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री के बिहार दौरे के समय भी शारदा सिन्हा ने अपनी स्वर साधना से समा बांध दिया था.


लोकगीतों के अलावा शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म ''मैंने प्यार किया'' में ''कहे तो से सजना...'' और ''गैंग्स आफ वासेपुर सीजन 2'' में ''तार बिजली...'' के अलावा ''चारफुटिया छोकरे'' फिल्म में ''कौन सी नगरिया...'' जैसे लोकप्रिय गाने गाए हैं.


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