नई दिल्ली : बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए अब तक प्राप्त रुझान के मुताबिक जेडीयू नीत महागठबंधन को स्‍पष्‍ट बहुमत मिला है। नीतीश कुमार एक बार फिर से बिहार के मुख्‍यमंत्री बनेंगे।
सूबे की सत्ता एक बार फिर नीतीश कुमार के हाथों में होगी। वहीं, इस चुनाव में एनडीए की करारी हार हुई है। जानिये, वो कौन से प्रमुख कारण हैं, जिसके चलते नीतीश की अगुवाई वाले महागठबंधन को भारी जीत मिली है।


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- नीतीश कुमार की स्‍वच्‍छ छवि का लाभ महागठबंधन को मिला है। सीएम का कैंडिडेट पहले से तय होने का लाभ मिला। बिहार की जनता ने एक बार फिर नीतीश कुमार पर भरोसा किया है। जनता की नजर में नीतीश कुमार साफ-स्वच्छ छवि वाले नेता हैं। इस वजह से जनता ने महागठबंधन के पक्ष में अपना मत दिया।


- लालू से गठबंधन करके जेडीयू की ताकत बढ़ी और पिछड़े एवं दलित वोटरों के बीच पैठ बनाया। लालू यादव से गठजोड़ करने के बाद महागठबंधन को मुसलमान वोटरों का लाभ मिला। मस्लिमों का एकमुश्‍त वोट महागठबंधन को जाना।  


- बीजेपी का बिना मुख्यमंत्री चेहरे के चुनाव में उतरना और सामने नीतीश कुमार जैसे सीएम उम्‍मीदवार का होना। बिहार में महागठबंधन ने अपना नेता नीतीश कुमार को घोषित किया था, जबकि बीजेपी बिना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए मोदी के नाम पर चुनाव मैदान में उतरी। इसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा।


- बिहार में इस बार साफ है कि वोटिंग सांप्रदायिक बुनियाद पर नहीं हुई। वोटों को ध्रुवीकरण नहीं हुआ, जैसा कि भाजपा चाहती थी।


- जाति आधारित वोटों का ध्रुवीकरण होना। वोटिंग में जाति का असर देखा गया। नीतीश-लालू को हर जाति के वोट मिले हैं।


- महागठबंधन की ओर से संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान को मुद्दा बनाना। लालू-नीतीश को इसका लाभ मिलना।


- यादव वोटरों का लालू और नीतीश पर भरोसा जताना।