COVID-19 से बिगड़ रहे है हालात, कहीं `लापरवाही` बन ना जाए जानलेवा
Bihar Corona News: बात-बात में सरकार की कमियां गिनाने वाले लोग खुद इस वायरस से बचाव के लिए क्या कर रहे हैं इस सवाल का जवाब तलाशने की जरूरत है. हालांकि, सरकार या स्थानीय प्रशासन की कमियों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
Patna: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे देश को बेहाल कर दिया है. प्रतिदिन एक लाख से भी ज्यादा संक्रमित लोग मिल रहे. आम लोगों में जहां इसे लेकर कई तरह के सवाल हैं, वहीं सरकार के सामने इस संकट से निपटना बड़ी चुनौती है. इस जानलेवा संकट के बीच देशभर में 'टीका उत्सव' मनाया जा रहा है. 'टीका उत्सव' में Corona से बचाव के लिए वैक्सीनेशन का महाअभियान चलाया जा रहा है.
जनता की लापरवाही और स्वास्थ्य महकमे की खामियां बनी चुनौती
आज के हालात में देश के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है, वो है लोगों की लापरवाही. बात-बात में सरकार की कमियां गिनाने वाले लोग खुद इस वायरस से बचाव के लिए क्या कर रहे हैं इस सवाल का जवाब तलाशने की जरूरत है. हालांकि, सरकार या स्थानीय प्रशासन की कमियों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
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वैक्सीनेशन केन्द्रों पर जिस तरह की लापरवाही लोग बरत रहे हैं, वो लापरवाही कोरोना से बचाव कम, बल्कि उसकी चपेट में लाने में ज्यादा मददगार साबित होगी. वैक्सीनेशन के लिए लगी कतार में लोग बिना मास्क लगाए नजर आ रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग की तो धज्जियां ही उड़ा दी गई हैं. 'दो गज की दूरी' तो छोड़िए लोग एक-दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर या कतार में अपने से आगे खड़े लोगों को धक्का देते हुए नज़र आ रहे हैं.
इसके लिए लोगों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग भी जिम्मेदार है. क्योंकि जब किराने या सब्जी की दुकान पर लोगों के खड़े होने के लिए गोल घेरे बनाए जा सकते हैं, तो ऐसी व्यवस्था वैक्सीनेशन केन्द्रों पर क्यों नहीं की जा सकती? ये एक ज्वलंत सवाल है. इसमें स्वास्थ्य महकमे की पूरी लापरवाही नजर आती है.
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इस बीच 'टीका उत्सव' को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है. विपक्ष इस 'उत्सव' शब्द को लेकर सरकार पर हमलावर है. विपक्ष का कहना है कि वैक्सीन की पूरी उपलब्धता नहीं है, लोग दम तोड़ रहे हैं और सरकार 'उत्सव' की बात कर रही है. हालांकि, सरकार के अपने तर्क हैं, जिन्हें सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता.
संक्रमण पर 'शर्मनाक' सियासत
सरकार का कहना है कि 'कोरोना संक्रमण जैसे अभूतपूर्व संकट के दौर में लोगों में विश्वास, सकारात्मकता का होना बेहद जरूरी है. क्योंकि ये लगातार दूसरा साल है जब हम खुद को अकेला रखने पर मजबूर हैं. लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं. संक्रमण अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर है और लगातार इसका दायरा बढ़ता जा रहा है. इसलिए लोगों की सोच सकारात्मक रहे, लोग शरीर के साथ मन से भी स्वस्थ रहें. इसलिए टीकाकरण के लिए उत्साहित करने के मकसद से 'टीका उत्सव' जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है.'
खैर, सरकार या विपक्ष के जो भी तर्क या दलील हो एक्सपर्ट्स का कहना है कि 'संक्रमण की चेन को जल्दी नहीं तोड़ा गया तो ये महामारी हमें किस हद तक तबाह करेगी इसका अनुमान लगाना शायद नामुमकिन है. अभी फिलहाल प्रतिदिन पौने 2 लाख नए मरीज निकल रहे हैं और ये आंकड़ा कहां तक जाएगा, इस पर भी कुछ नहीं कहा जा सकता.'
लॉकडाउन के लिए रहना होगा तैयार
फिलहाल ये कहने में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि हालात अगर जल्द से जल्द नहीं सुधरे और लोगों ने खुद से समझदारी दिखाते हुए गाइडलाइन्स को फॉलो नहीं किया तो शायद फिर से देश को लॉकडाउन देखना पड़े. इसके लिए हमें तैयार रहना होगा.