पटना : बिहार में अब कुत्ते बारूद ही नहीं बल्कि शराब भी खोज निकालेंगे. हैदराबाद से विशेष ट्रेनिंग दिलवाकर 20 कुत्तों को पटना लाया गया है. जल्द ही इन्हें शराबबंदी को सफल बनाने के अभियान में लगाया जाएगा. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का भी मानना है कि पूर्ण शराबबंदी कानून को शख्त तरीके से लागू करने में ये कुत्ते अहम भूमिका निभाएंगे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पुलिस अब तक कुत्तों से बारुद और नारकोटिक्स के सामान को खोज निकालने में मदद लेती रही है, लेकिन बिहार पुलिस अब कुत्तों से शराब की खोज कराएगी. कुत्तों को शराब की खोज में लगाने का अनोखा प्रयास शुरू किया गया है.


बिहार पुलिस ने इसके लिए कुत्तों को विशेष प्रशिक्षण दिलवाया है. नौ महीने पहले बिहार पुलिस के द्वारा 20 छोटे कुत्ते खरीदे गए थे, जिन्हें नौ महीनों तक हैदराबाद के इंटीग्रेटेड इंटेलिजेंस ट्रेनिंग सेंटर में विशेष प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण के बाद ये कुत्ते पटना पहुंच चुके हैं. राज्य के सभी 11 डीआईजी रेंज में इन कुत्तों की तैनाती की जाएगी. 


कुत्तों की विशेषता के बारे में डीआईजी सीआईडी विनय कुमार ने बताया कि इन कुत्तों को देशी शराब की खोज करने के लिए विशेष रुप से प्रशिक्षित किया गया है. प्रशिक्षण के दौरान बिहार में मिलने वाली देशी शराब की बोतल हैदराबाद भेजा गया था, जिससे कुत्तों को इसकी विशेष पहचान हो सके. इसके अलावा कुत्ते विदेशी शराब की गंध भी पहचान सकते हैं. किसी घर में छुपाकर रखे गये या फिर किसी गाड़ी में रखे गये देशी या विदेशी शराब को कुत्ते आसानी से पकड़ लेते हैं. यहां तक कि अगर किसी ने शराब पी रखी है तो ये कुत्ते उसे भी पकड़ लेंगें.


लेकिन इन कुत्तों के साथ एक परेशानी यह भी है कि अगर शराब की बोतल पूरी तरह सील पैक है तो उसकी पहचान करने में इन्हें परेशानी होती है. शराब की पहचान के लिए शराब की बोतल शीलबंद नहीं होनी चाहिए. कुत्तों की देखरेख के लिए एक पर सिपाही रैंक के दो हैंडलर तैनात किये गये हैं. डॉग स्क्वॉड के हर कुत्ते की देखरेख पर हर महीने एक लाख 15 हजार रुपये खर्च किए जाएंगे.