बिहार: जलजमाव से निपटने के लिए पटना नगर निगम तैयार, उठाए ये बड़े कदम
Waterlogging in Patna: 2017 से लेकर साल 2021 के दौरान पटना में राज्य के दूसरे शहरों की तुलना में ज्यादा बारिश हुई है. लिहाजा पटना नगर निगम की चुनौती बढ़ी है.
पटना: Waterlogging in Patna: पटना नगर निगम ने बारिश से निपटने के लिए क्विक रेस्पॉन्स टीम तैयार की है. सभी छह अंचलों के लिए क्विक रेस्पॉन्स टीम बनाई गई है. मकसद है कि जलजमाव की स्थिति में संबंधित जगहों पर जल्द से जल्द मानवबल पहुंचाया जा सके. इसके साथ ही पहली बार पटना नगर निगम ने बारिश के लिहाज से पूरे शहर को उन्नीस जोन में बांटा है ताकि मानसून के दौरान किसी तरह की भ्रम की स्थिति न रहे.
जलजमाव से निपटना चुनौती
दरअसल, राजधानी पटना में मानसून तकरीबन दो महीने सक्रिय रहता है. पिछले कुछ सालों में पटना में मानसून के दौरान सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है. लिहाजा नगर निगम की कोशिशों के बावजूद जलजमाव जैसे हालात पैदा होते हैं. कुछ इलाकों में तो जलजमाव इतना अधिक रहता है कि लोगों का घरों से निकलना मुश्किल होता है.
पटना नगर निगम की होगी असली परीक्षा
2019 में तो राजेंद्र नगर और कंकड़बाग में सात दिनों तक भारी जलजमाव रहता था. हालांकि अस्थायी संप हाउस लगाए जाने के कारण साल पिछले साल बारिश के दौरान लोगों को अधिक मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा है. पटना के लोग भी मानते हैं कि साल 2021 में बारिश की वजह से खास मुश्किल नहीं हुई लेकिन निगम की असली परीक्षा भारी बारिश के दौरान होगा.
मानसून में लगातार काम करेगी रेस्पॉन्स टीम
2017 से लेकर साल 2021 के दौरान पटना में राज्य के दूसरे शहरों की तुलना में ज्यादा बारिश हुई है. लिहाजा पटना नगर निगम की चुनौती बढ़ी है. इसी चीज को ध्यान में रखते हुए पटना नगर निगम ने इस बार क्विक रेस्पॉन्स टीम बनाई है. छह क्विक रेस्पॉन्स टीम को अलग-अलग छह अंचलों में भेजा गया है. पटना नगर निगम ने इसके लिए गाड़ी भी खरीदी है. जलजमाव वाले इलाकों में ये रेस्पॉन्स टीम मानसून के दौरान लगातार काम करेगी.
19 सेक्टर में बांटा गया पटना
पटना नगर निगम के आयुक्त अनिमेष परासर के मुताबिक, आबादी के लिहाज से पटना नगर को बारिश से निपटने के लिए उन्नीस सेक्टर में बांटा गया है. अनिमेष परासर आगे कहते हैं कि, पाटिलपुत्र, राजवंशी नगर, नंदलाल छपरा, रामकृष्ण नगर ऐसे इलाके हैं जहां जलजमाव की अक्सर शिकायत रहती है. नगर निगम ऐसे इलाकों पर अधिक फोकस करेगा.
दरअसल दावे और जमीनी हकीकत में काफी अंतर होता है. हकीकत ये है कि साल 2019 की भीषण बारिश ने पटना नगर निगम की हकीकत को उजागर कर दिया था. अब निगम अपने दावों को जमीनी हकीकत में किस तरह से तब्दील करेगा इसकी परीक्षा बारिश के दौरान होगा.