पटना: कभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे खास सिपहसालारों में शुमार रहे केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह के दिन इस समय कुछ खास नहीं चल रहे हैं. पहले पार्टी ने राज्यसभा का टिकट काटा, फिर बंगला छीना गया और अब उनके करीबी नेताओं का पत्ता साफ होना शुरू हो गया. बात इतने पर भी रूक जाती तब भी कुछ ठीक था. लेकिन अब मंत्री पद छोड़ने की मांग भी की जाने लगी. हालांकि, आरसीपी सिंह ये साफ कर चुके हैं कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मसले पर बात करेंगे और फिर मंत्री पद को लेकर कुछ फैसला करेंगे. 


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आरसीपी को लेकर नहीं है जदयू का क्लीयर स्टेैंड?
इस बीच, नीतीश कुमार भी साफ कह चुके हैं कि आरसीपी सिंह अभी 6 महीने तक मंत्री बनें रह सकते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि फिर इस तरह के बयान और कार्रवाई क्यों की जा रही है. वो भी तब जब आरसीपी सिंह खुद कह चुके हैं कि नीतीश कुमार ही उनके नेता हैं और वो जब कहेंगे तब वो दिल्ली से आ जाएंगे. 


मंत्री पद छोड़ने की मांग
इतना ही नहीं, आरसीपी सिंह ये भी कह चुके हैं कि उनका नीतीश कुमार और ललन सिंह से किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं है. बावजूद इसके आरसीपी के धीरे-धीरे पर कतरे जा रहे हैं. इसी क्रम में पहले उनका पटना स्थित सरकारी आवास छीना गया और फिर उनके कई खास नेताओं को जदयू से बाहर का रास्ता  दिखा दिया गया. और अब जदयू संसदीय दल के चेयरमैन उपेंद्र कुशवाहा कह रहे हैं कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए आरसीपी सिंह को मंत्री पद पर रहने का कोई औचित्य नहीं है.


नीतीश के बिना नहीं हिलता जदयू में पत्ता!
तो क्या मान लिया जाए कि भले ही नीतीश कुमार सबकुछ 'ठीक' होने की बात कह रहे हैं लेकिन अंदरखाने आरसीपी सिंह को लेकर बात कुछ और है. हालांकि, नीतीश कुमार को करीब से जानने वाले बताते हैं कि वो (नीतीश) कौन सा कदम उठाएंगे ये अंदाज लगाना नामुमकिन है. तो क्या आरसीपी सिंह के साथ भी कुछ वैसा ही किया जा रहा है. क्योंकि आज भी जदयू में नीतीश के बिना पत्ता भी नहीं हिलता.


आरसीपी सिहं को लेकर सबकुछ ठीक नहीं
खैर अगर बीते कुछ दिनों के बयानों को देखें तो समझ आएगा कि जो कहा जा रहा है तस्वीर उसके विपरीत है. लेकिन आरसीपी सिंह और ललन सिंह का एक बयान अभी भी ये बता रहा है कि उनको लेकर पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है. दरअसल, बीते दिनों जब आरसीपी सिंह से नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री पद को लेकर सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था कि पीएम बनने के लिए 272 सांसद चाहिए और बिहार में ऐसा नहीं है.


नीतीश के कहने पर बना मंत्री: RCP
वहीं, जब यूपी विधानसभा चुनाव में जदयू के सीट की बात हो रही थी तो उस वक्त पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था कि हम बीजेपी के साथ चुनाव लड़ना चाहते थे और इसके मध्यस्ता की जिम्मेदारी पार्टी ने आरसीपी सिंह को दे रखी थी. लेकिन उन्होंने हमें अंधेरे में रखा जिसकी वजह से हम गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ रहे. इसके बाद, ये बात भी सामने आई कि नीतीश, बीजेपी नेताओं के साथ आरसीपी सिंह की करीबियत से नाखुश हैं. हालांकि, आरसीपी सिंह ने बाद में ये साफ किया कि वो नीतीश के कहने पर ही मंत्री बनें हैं. 


ऐसे अब ये देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वक्त में आरसीपी सिंह को लेकर जेडीयू क्या फैसला करती है. सवाल ये भी है कि अगर उनका मंत्री पद जाता है तो उनकी संगठन और पार्टी में क्या भूमिका होगी. लेकिन ये तो तय है कि जो मौजूदा समय की तस्वीर है वो साफतौर पर बयां कर रही है कि आरसीपी को लेकर सबकुछ ठीक नहीं है.