पटना: बिहार लोकसेवा आयोग ने प्रधानाध्यापक की जो परीक्षा ली थी अब उसके प्रश्न पर ही सवाल खड़े हो गए हैं. 31 मई को आयोजित प्रधानाध्यापक पद की परीक्षा में इतिहास से एक सवाल पूछा गया. जिस पर विवाद गहरा गया है. दरअसल, पूरा विवाद क्या है इसे हम आगे बताएंगे. लेकिन एक्सपर्ट और बिहार लोकसेवा आयोग के सदस्य भी सवाल में इस्तेमाल भाषा से इत्तेफाक नहीं रखते हैं.


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लोकसेवा आयोग के पूर्व सदस्य और प्रोफेसर शिवजतन ठाकुर के मुताबिक, भारत में भावनाओं का काफी सम्मान किया जाता है, लिहाजा इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल से आयोग को बचना चाहिए. शिवजतन ठाकुर के मुताबिक, मुगल या फिर राजपूतों के इतिहास से सवाल तो पूछे जा सकते हैं और पूछे भी जा रहे हैं. लेकिन उसमें भाषा की गरिमा का ध्यान रखा जाता है. 


दरअसल हेडमास्टर पद के लिए आयोजित परीक्षा में एक सवाल जिस पर विवाद खड़ा हुआ है वो क्या है इसे हम बताते हैं.


सवाल ये है कि, महान मुगल सम्राटों में से, जैसे बाबर से औरंगजेब तक, दो सम्राट राजपूत राजकुमारियों से पैदा हुए. वे थे


A) अकबर और औरंगजेब B) बाबर और शाहजहां  C) जहांगीर और शाहजहां D) अकबर और जहांगीर E) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में एक से अधिक


लोकसेवा आयोग के सवालों में इतिहास से सवाल पूछ जाते हैं. हिंदू, मुस्लिम, राजपूत या फिर किसी भी समुदाय से सवाल पूछे जाते रहे हैं लेकिन भाषा की गरिमा का ध्यान रखा जाता है. बिहार विधान परिषद के सदस्य और संजीव कुमार ने आयोग पर निशाना साधा है. संजीव कुमार ने कहा है कि सवाल पूछे जाने का तरीका गलत है और इसमें राजपूत समुदाय के लिए आपत्तिजनक विषय वस्तु हैं.


संजीव कुमार आगे कहते हैं कि वो अब इस विषय को शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के सामने रखेंगे. संजीव कुमार के मुताबिक, अब बिहार विधानमंडल के अगले सत्र में जोदरार तरीके से ये सवाल खड़े किए जाएंगे और बिहार लोकसेवा आयोग से सफाई मांगी जाएगी.


भारतीय समाज में स्त्रियों को हमेशा ऊंचा स्थान मिलता रहा है. बिहार लोकसेवा आयोग की मंशा पर सवाल नहीं किए खड़े जा रहे हैं लेकिन जिस तरह के सवाल पूछे जाते हैं और उनमें जिस तरह की भाषाओं का इस्तेमाल होता है उससे सवाल पर सवाल तो बनता ही है.