बक्सर: पाकिस्तान की जेल में 12 वर्ष बिताने के बाद बक्सर के चौसा का रहने वाला छवि मुसहर अपने गांव लौट चुका है. गांव के लोग छवि को अपने बीच पा कर जितने खुश हैं उतने ही हैरान भी हैं, क्योंकि इतने साल बाद छवि की वापसी की उम्मीद न तो परिजनों को थी और न ही चौसा के लोगों को. केंद्र सरकार और प्रशासन की पहल और मदद के बाद छवि मुसहर का लौट पाना संभव हो पाया है. लंबे अरसे बाद छवि अब अपने परिजनों के बीच है और खुशी से फूले नहीं समा रहा है. खुशी परिजनों और गांव वालों में भी साफ-साफ देखी जा रही है, क्योंकि जिस बेटे को मृत समझकर उन लोगों ने अंतिम संस्कार कर दिया था वह बेटा अब जिंदा उनके बीच में पहुंच चुका है. परिजन और गांव वाले इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं.


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बॉलीवुड की फिल्मों सी है चौसा के छवि की कहानी
बॉलीवुड फिल्म 'वीर-जारा' में उसका नायक सरहद पार अपनी प्रेमिका से मिलने चला जाता है और फिर उसे पाकिस्तानी रेंजर पकड़ लेते हैं. उसे यातनाएं दी जाती हैं, लेकिन वो अपने प्यार की खातिर सबकुछ बर्दाश्त करता है और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद एक दिन वापस अपनी सरजमीं पर लौटता है. इस फिल्म में एक डायलॉग है 'आजादी हर इंसान का पैदाइशी हक है' और बक्सर के छवि मुसहर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. क्योंकि जिन वजहों से वीर-जारा का नायक पड़ोसी देश की सीमा को पार कर जाता है, छवि के पाकिस्तान पहुंच जाने के पीछे भी वही वजह है. हालांकि वीर-जारा का नायक जान बूझकर पाकिस्तान जाता है और बक्सर का छवि भूलवश पाकिस्तान की सरहद को पार कर जाता है.


घर से निकला था ससुराल के लिए पहुंच गया पाकिस्तान  
बक्सर के चौसा प्रखंड के रहने वाले छवि मुसहर की शादी वर्ष 2007 में आरा के एक गांव में हुई थी और शादी के 2 साल बाद साल 2009 में वो ट्रेन से आरा स्थित अपने ससुराल के लिए निकला था. लेकिन गलत ट्रेन पकड़ने के कारण वह पंजाब पहुंच गया और फिर भूलवश एक दिन वो पाकिस्तान के बॉर्डर को पार कर गया. जहां कई दिनों तक किसी तरह जिंदगी गुजारने के बाद एक दिन वो पाकिस्तान की पुलिस के हत्थे चढ़ गया और उसे जासूसी के संदेह में पाकिस्तान पुलिस ने पकड़ कर जेल में बंद कर दिया. 


बेटे को मृत समझकर परिजनों ने कर दिया था अंतिम संस्कार
इधर, छवि मुसहर के ससुराल के लोग अपने दामाद का रास्ता देख रहे थे, उधर छवि पाकिस्तान जा पहुंचा था. काफी दिनों तक जब वो अपने घर बक्सर और ससुराल आरा नहीं पहुंच पाया तो परिजनों को कुछ और ही अंदेशा हुआ और फिर वे लोग अपने बेटे को मृत समझ कर उसका अंतिम संस्कार कर दिए. जिसके बाद उसके सगे-संबंधी भी ये मान चुके थे कि छवि मुसहर की मौत हो चुकी है.


सरकार के प्रयास से संभव हुई वतन वापसी 
भले ही परिजन छवि को मृत समझकर उसका अंतिम संस्कार कर चुके थे, लेकिन पाकिस्तान की जेल में बंद छवि मुसहर अपनी रिहाई के दिन गिन रहा था. इस बीच कुछ दिनों पहले भारत सरकार के गृह मंत्रालय से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें छवि के पाकिस्तान जेल में बंद होने की खबर मिली. जिसके बाद छवि के परिजन खुशी से झूम उठे. हालांकि अब समस्या यह थी कि छवि को वापस अपने वतन कैसे लाया जाए. 


गृह मंत्रालय से चिट्ठी मिलने के बाद छवि के पाकिस्तान जेल में बंद होने की खबर जी मीडिया ने भी प्रमुखता से दिखाई थी. हालांकि उसके बाद लंबी कानूनी प्रक्रिया और दोनों देशों के बीच जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद छवि मुसहर को सही सलामत उसे बक्सर जिला मुख्यालय पहुंचाया जा चुका है. छवि के बक्सर पहुंचते ही प्रशासनिक और कागजी कार्रवाई के बाद उसे परिजनों के हवाले कर दिया गया. जिले के डीएम और एसपी के आदेश पर स्थानीय अंचलाधिकारी ने कागजी कार्रवाई को पूरा करते हुए छवि को परिजनों के हवाले कर दिया.  चौसा के अंचलाधिकारी ने कहा कि छवि को वापस लाने को लेकर काफी लंबे समय से प्रयास चल रहा था. 


मां की आंखों से छलक आए खुशी के आंसू 
लंबे अरसे के बाद अपने लाल को लौटता देख छवि की मां के खुशी के आंसू छलक गए. छवि मुसहर की मां भगवान का शुक्रिया अदा कर रही हैं और बेटे के वापस लौटने की घटना को चमत्कार मान रही हैं. पाकिस्तान से सही सलामत छवि के अपने वतन वापस लौटने की खुशी केवल परिजनों को ही नहीं, बल्कि गांव वालों के साथ-साथ आसपास के इलाके में भी खुशी देखी जा रही है. जो कोई भी पाकिस्तान से इस युवक के वापस लौटने की कहानी सुन रहा है वो चौसा पहुंच कर छवि से मिलना चाह रहा है. छवि मुसहर का उसके गांव में जोरदार स्वागत भी किया गया.
 
ईंट बनाने का कारोबार शुरू करना चाहता है छवि
अपनी सरजमीं पर लौटने के बाद छवि के भी चेहरे पर मुस्कान देखी जा रही है. छवि मुसहर अपने पाकिस्तान पहुंच जाने की कहानी बताते हुए जेल में बिताए एक-एक पल की दास्तान लोगों को सुना रहा है. हालांकि अब वापस लौटने के बाद छवि मुसहर ईंट बनाने का कारोबार शुरू करना चाहता है, जिसके लिए उसे स्थानीय प्रशासन और सरकार का भी सहयोग चाहिए. बहरहाल अब देखने वाली बात यह होगी कि अपने घर लौट चुके छवि मुसहर को एक नई जिंदगी की शुरुआत करने में किस-किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और स्थानीय समाज और प्रशासन का कितना सहयोग छवि को मिल पाता है.


(इनपुट-रवि)