पटनाः Kushmanda Devi Puja Vidhi: नवरात्र का चौथा दिन देवी कुष्मांडा को समर्पित है. मां कुष्मांडा को संपूर्ण ब्रह्मांड की रचनाकार माना जाता है. माता यह स्वरूप दिव्य शक्ति का रूप है. उन्होंने ही अंदकार को दूर कर तीन दिव्य देवियों और देवताओं की रचना की थी. माता की सवारी बाघ है. उनको दिव्य शक्ति, शाश्वत होने और ऊर्जा का स्रोत माना गया है. उनकी पूजा करने से भक्तों को शक्ति, बुद्धि और समृद्धि मिलती है. साथ ही सभी दुख-तकलीफें दूर होती हैं.


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मां कुष्मांडा की पूजन विधि
माता की पूजा के लिए सिंदूर, गुलाब, गुलदाउदी का फूल, हरी इलायची, सौंफ के बीज, कद्दू, खुमार का पेठा, लाल आटा और मालपुआ की जरूरत होती है. कलश के पास मां की मूर्ति रखें. उन्हें लाल फूल, मिठाई और फल चढ़ाएं. इसके बाद 'ऊं देवी कुष्मांडा नमस्तसिः' 'या देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः' मंत्र का जाप करें. 


लगाएं मालपुए का भोग
मां कुष्मांडा का जन्म दैत्यों का संहार करने के लिए हुआ था. कुष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ा होता है. कुम्हड़े को कुष्मांड कहा जाता है इसीलिए मां दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कुष्मांडा रखा गया था. देवी का वाहन सिंह है. जो भक्त नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की विधिवत तरीके से पूजा करता है उससे बल, यश, आयु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. मां कुष्मांडा को लगाए गए भोग को प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार करती हैं. यह कहा जाता है कि मां कुष्मांडा को मालपुए बहुत प्रिय हैं इसीलिए नवरात्रि के चौथे दिन उन्हें मालपुए का भोग लगाया जाता है.


आज करें ये खास उपाय
धन सम्बन्धी परेशानी के लिए-  हो सके तो ललिता सहस्स्रनाम का पाठ जरूर करे. इसे मां लक्ष्मी की कृपा मिलेगी और दरिद्रता का अंत होगा.
स्वास्थ्य के लिए- भगवती को नवरात्र के चोथे दिन पेठे का दान करना  चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से मनुष्य दीर्घायु होता है.


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