पटना: बिहार में लोकल बॉडीज एमएलसी सीट यानी स्थानीय प्राधिकार से विधान परिषद की सभी 24 सीटों के लिए निर्वाचन हो गया है. जिन 24 सीटों पर चुनाव हुए थे उनमें बीजेपी को 7, आरजेडी को 6, जेडीयू को 5, कांग्रेस को 1, आरएलजेपी को 1 और निर्दलीय उम्मीदवारों को 4 सीट पर कामयाबी मिली. दलीय स्थिति की अगर बात करें तो इन आंकड़ों के बाद विधान परिषद की तस्वीर बदल जाएगी.


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सदन में बदल गई दलीय स्थिति
विधान परिषद की 75 सीटों की बात करें तो ताजा चुनाव के बाद जेडीयू के 28, बीजेपी के 22, आरजेडी के 11, कांग्रेस के 4, सीपीआई के 2, वीआईपी, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और आरएलजेपी के 1-1 सदस्य विधान परिषद में होंगे. इसके अलावा सदन में निर्दलीय सदस्यों की संख्या भी बढ़ी है और बाकी सीटें उनके पास हैं.


विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी फिर RJD को
विधान परिषद में समीकरणों के लिहाज से जो पहला बदलाव आएगा वो ये कि आरजेडी को मुख्य विपक्षी दल का दर्जा मिल जाएगा. पहले आरजेडी के 5 सदस्य सदन में थे, जिससे राबड़ी देवी का नेता प्रतिपक्ष का दर्जा छिन गया था. अब कुल सदस्यों के 10 प्रतिशत के हिसाब से नेता विपक्ष बनने के लिए कम से कम 8 सदस्यों की जरूरत है और आरजेडी के सदन में कुल 11 सदस्य हैं. ऐसे में, आरजेडी के पास एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष का पद विधान परिषद में भी आ जाएगा.


सत्ताधारी दल को 5 सीटों का नुकसान
स्थानीय प्राधिकार के पिछले चुनाव की बात करें, तो कुल 24 सीटों में बीजेपी ने 12 सीटें, जेडीयू ने 5 सीटें, आरजेडी ने 3 सीटें, कांग्रेस ने 1, एलजेपी ने 1 और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 2 सदस्य चुनाव जीते थे. इस लिहाज से हम यह कह सकते हैं कि बिहार की सत्ताधारी दल को 5 सीटों का नुकसान हुआ है.


जुलाई में फिर खाली होगी 7 MLC सीट
एक बार फिर इसी साल जुलाई में विधान परिषद की 7 सीटें खाली होंगी. इन 7 में से 5 पर जेडीयू, 1 पर बीजेपी और 1 सीट पर वीआईपी यानी खुद मुकेश सहनी बैठे हैं. ये सीटें जब खाली होंगी तो फिर चुनाव होंगे और विधानसभा में विधायकों की संख्या के लिहाज से सत्ता पक्ष के पास 4 और विपक्ष के पास 3 सीट जा सकती है. सत्ता पक्ष की 4 सीटों में फिर से दोनों दल यानी बीजेपी और जेडीयू के बीच बंटवारा होगा. यानी एक बार फिर जुलाई में विधान परिषद में सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या में कमी आ सकती है.


पक्ष-विपक्ष में नेक टू नेक फाइट
एक और महत्वपूर्ण बात ये है कि स्थानीय प्राधिकार के चुनाव परिणाम ज्यादातर मौकों पर सत्ताधारी दल की तरफ झुके होते हैं. इस बार भी यही हुआ, लेकिन विपक्ष ने सत्ता पक्ष को कड़ी टक्कर दी. इससे ये संकेत मिल रहा है कि विधानसभा चुनाव से ही चली आ रही पक्ष-विपक्ष की नेक टू नेक फाइट अभी भी जारी है. देखना है आने वाले दिनों में समीकरणों के लिहाज से क्या-क्या बदलाव देखने को मिलेगा.